वैशाली की सांसद वीणा देवी व पति एमएलसी दिनेश सिंह मुजफ्फरपुर विशेष कोर्ट से बरी
Bihar Politics आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन में बरी होने वालों में जिला परिषद के पूर्व अभियंता शिवनंदन साह भी शामिल वीणा देवी के संसदीय दल के साथ अमेरिका में होने व कोलकाता में उपचार कराने के कारण शिवनंदन साह फैसले के समय कोर्ट में नहीं थे उपस्थित।

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। वैशाली की सांसद वीणा देवी, उनके पति विधान पार्षद दिनेश सिंह व जिला परिषद के पूर्व अभियंता शिवनंदन साह को आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों से अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम विकास मिश्रा के विशेष कोर्ट (एमपी एमएलए मामले) ने बरी कर दिया है। इन सभी पर वर्ष 2009 में विधान परिषद चुनाव के दौरान मड़वन प्रखंड के वार्ड सदस्यों के बीच चापाकल बांटने का आरोप लगाया गया था।
विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष ने विशेष कोर्ट के समक्ष ठोस साक्ष्य पेश नहीं किया। इसका लाभ आरोपितों को मिला। फैसला सुनाने के समय विशेष कोर्ट के समक्ष सिर्फ दिनेश सिंह उपस्थित हुए। सांसद वीणा देवी इस समय संसदीय दल के साथ अमेरिका गई हुई हैं और जिला परिषद के पूर्व अभियंता शिवनंदन साह गंभीर रूप से बीमार हैं। उनका उपचार कोलकाता में चल रहा है। दोनों की ओर से फैसला सुनने के लिए प्रार्थना पत्र के साथ उनके अधिवक्ता विनोद कुमार कोर्ट में उपस्थित हुए।
यह है मामला
विधान परिषद चुनाव 2009 के दौरान वीणा देवी, दिनेश सिंह व शिवनंदन साह पर मड़वन प्रखंड के मकदूमपुर कोदरिया पंचायत के 12 वार्ड सदस्यों के बीच चापाकल बांटने का आरोप लगाया गया था। इस संबंध में 15 मार्च 2009 को प्रतिनियुक्त पदाधिकारी व मड़वन के प्रखंड कृषि पदाधिकारी कामेश्वर प्रसाद सिंह ने करजा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मामले की जांच के बाद पुलिस ने तीनों के विरुद्ध 10 अप्रैल 2009 को कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। 29 मार्च 2014 को शिवनंदन साह, चार अप्रैल 2014 को वीणा देवी व दिनेश सिंह के आत्मसमर्पण करने के बाद कोर्ट ने जमानत दे दी थी।
जांच में नहीं जुटाए गए साक्ष्य
इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में ही कई तथ्यों का अभाव था। प्राथमिकी में यह नहीं दर्शाया गया था कि कौन चुनाव होने वाला था। वहीं पुलिस ने जैसे-तैसे जांच कर आरोप पत्र कोर्ट में समर्पित कर दिया। इसमें यह नहीं दर्शाया गया था कि आदर्श आचार संहिता कब से कब तक और किन-किन क्षेत्रों में लगाया गया था। विभाग से लाभुकों को चापाकल देने का आदेश निर्गत हुआ था या नहीं। कोर्ट में गवाह भी आरोपों से मुकर गए थे।
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