दरभंगा में अनाेखा प्यार, किन्नर पर युवक का आया दिल, खाई साथ जीने-मरने की कसमें
Darbhanga news दरभंगा के एक युवक ने किन्नर प्यार में दीवानगी की सारी हदें पार कर दी। इस घटना की इलाके के खूब हो रही चर्चा। दोनों के निर्णय से अभिभावकों के साथ पंच भी चिंतित। फटकार लगाने पर दोनों घर से हो गए विदा।

दरभंगा, जासं। अलीनगर थाना क्षेत्र के श्यामपुर गांव के एक युवक ने किन्नर के साथ न केवल प्यार किया, बल्कि साथ जीने मरने की शपथ भी ले ली। इस शपथ की जानकारी उसके समाज को हुई तो पंचों के साथ अभिभावक भी दंग रह गए। इसका खुलासा गुरुवार को उस समय हुआ जब दोनों ने एक पंचायत में साथ मरने-जीने की कसम खाने की बात कही। पंचायत तो इस मसले की नहीं थी, लेकिन पंचायत उसी किन्नर के कथित पति के संबंधित हरकतों पर बुलाई गई थी। किन्नर के पति का नाम कैलाश कुमार राम है। जो बदनियति से गांव के ही एक आंगन में चार मई की देर रात प्रवेश कर गया था। जहां घर की महिला ने उसे पकडऩे के साथ-साथ हल्ला मचा दी। मोहल्ला वालों ने उसे पकड़ कर उनके अभिभावक को सूचित किया। तब तक उसे एक कमरे में रात भर बंद रखा गया। सुबह में इसकी पंचायती हुई ।
पंचायती में वह पूरी तरह दोषी पाया गया। इसके बाद उसके पिता से उनका पक्ष मांगा गया। उसके पिता ने पंचों को बताया कि दो वर्ष पहले भी इसने मेरे साथ मारपीट करने के साथ-साथ नशे में धुत होकर गलत काम किया था। इससे तंग आकर स्वयं पंचों का शरण लिया था । उसके बाद सभी के सहयोग से उसे हमेशा के लिए घर से निकाल दिया। लेकिन, इस बीच करीब एक माह पूर्व वह अपने साथ एक किन्नर को लेकर मेरे घर पहुंच गया और मुझे डरा-धमका कर घर में रह रहा है। उन्होंने पंचों से आग्रह किया कि मेरे उक्त पुत्र के साथ-साथ उसकी पत्नी बनी किन्नर को भी गांव से निकाल दिया जाए। पंचों ने दोनों को जब जमकर फटकार लगाई तो उक्त जोड़ी घर से सामान लेकर विदा हो गई।
किन्नर के संपर्क में त्यागी अपनी मर्दानगी
पंचायत के दौरान किन्नर ने बताया कि उसका पूर्व का नाम जालंधर कुमार देव है। वर्तमान प्रचलित नाम शिवानी है। सोनकी ओपी क्षेत्र के मेकना गांव में उसका जन्म हुआ था। लेकिन, वह फिलहाल गोरखपुर में रहती है। बताया कि उत्तरप्रदेश के पडरौना के किन्नर के संपर्क में आने से वह अपनी मर्दानगी को त्यागकर किन्नर बन गई। करीब दो वर्ष पहले कैलाश से उसकी मुलाकात हुई। दोनों ने साथ मरने-जीने की कसमें खाई। कहती है - अब उसे नहीं छोड़ सकते। इधर, किन्नर की बात सुनकर पंच सहित कैलाश के पिता चिंतित थे कि इसके कारण ग्रामीण परिवेश पर खराब प्रभाव पड़ेगा।
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