सीतामढ़ी में अनोखी पहल, यू-ट्यूब पर संस्कृत का पाठ, सूत्र वाक्य पढ़ो या संधि, समास
Happy Teachers Day 2021 आयुष मुजफ्फरपुर के आरडीएस कॉलेज में स्नातक के छात्र हैं। वे मैथ से ऑनर्स कर रहे। 10वीं कक्षा तक उन्होंने संस्कृत की पढ़ाई एक भाषा के रूप में की। साथ ही सेल्फ स्टडी और संस्कृत भाषा के जानकार लोगों से मिलकर इस पर पकड़ बनाई।

सीतामढ़ी, [अवध बिहारी उपाध्याय]। Happy Teachers Day 2021: आज के समय में देवभाषा संस्कृत न तो कोई पढऩा चाहता है और न ही पढ़ाना। इसमें करियर की संभावना कम होने के चलते गिने-चुने विद्यार्थी ही इसे विषय के रूप में लेते हैं। ऐसे में सीतामढ़ी के बेलसंड प्रखंड के परराही निवासी आयुष कुमार यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से निशुल्क संस्कृत पढ़ा रहे हैं। इसका प्रचार-प्रयास कर रहे।
आयुष मुजफ्फरपुर के आरडीएस कॉलेज में स्नातक के छात्र हैं। वे मैथ से ऑनर्स कर रहे। 10वीं कक्षा तक उन्होंने संस्कृत की पढ़ाई एक भाषा के रूप में की। साथ ही सेल्फ स्टडी और संस्कृत भाषा के जानकार लोगों से मिलकर इस पर पकड़ बनाई। आयुष बताते हैं कि कक्षा छह से लेकर मैट्रिक तक लोग संस्कृत को अतिरिक्त विषय के रूप में पढ़ते हंै। अन्य विषयों के शिक्षक आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन संस्कृत कोई पढ़ाना नहीं चाहता है। अपनी संस्कृति को बचाने के लिए संस्कृत आवश्यक है। इसी उद्देश्य से संस्कृत पढ़ाने का निर्णय लिया। इसके लिए अप्रैल 2017 में यू-ट्यूब पर 'मास्टर साहबÓ नाम से चैनल बनाया। इसे तकरीबन 12 हजार लोगों ने सब्सक्राइब किया है। इसमें अधिकतर बिहार और यूपी के विद्यार्थी हैं। वे कक्षा छह से लेकर मैट्रिक तक की संस्कृत पढ़ाते हैं। उनकी क्लास में भाषा, सूत्रवाक्य, संधि व समास सब होते हैं। अलग-अलग टापिक पर वीडियो अपलोड करते रहते हैं। पढऩे में रोचकता बनी रहे, इसलिए बिहारी अंदाज में शिक्षा देते हैं। वह अपने चैनल के अलावा ऐडुमंत्रा पर भी पढ़ा रहे हैं।
लड़कियों को विद्यालय से जोड़ा और हाथ में थमा दी कूची
कपिलेश्वर साह, मधुबनी : राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2021 के लिए चयनित चंदना लड़कियों की शिक्षा के प्रति समॢपत हैं। उनके प्रयास से आज मधुबनी की रांटी पंचायत में बदलाव दिखता है। उन्होंने यहां हर लड़की को स्कूल से जोडऩे के साथ मधुबनी पेंटिंग का प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनने को प्रेरित किया है।
राजनगर प्रखंड के उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय, रांटी में उन्होंने वर्ष 2005 में योगदान किया था। उन्होंने देखा कि इस क्षेत्र की लड़कियां शिक्षा से दूर हैं। घर का माहौल भी अनुकूल नहीं था। सबसे पहले वे घर-घर पहुंचीं। अभिभावकों को शिक्षा का महत्व बताया और लड़कियों को पढऩे के लिए प्रेरित किया। इसका असर यह रहा कि विद्यालय के कुल 850 विद्याॢथयों में छात्राओं की संख्या करीब 500 तक पहुंच गई।
चंदना बताती हैं कि जब उन्होंने स्कूल ज्वाइन किया, तब समाज में दिव्यांगों को लेकर भी सकारात्मक सोच नहीं था। सामाजिक सहयोग नहीं मिलने के कारण वे सभी क्षेत्रों में पिछड़ रहे थे। उन्होंने रांटी गांव के आस-पास के दिव्यांग बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया। शुरुआती दौर में मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन पांच साल के अंतराल में बड़ा बदलाव दिखा। चंदना अंग्रेजी स्नातक ऑनर्स और मैथिली से स्नातकोत्तर हैं। उनमें साहित्यिक अभिरुचि भी है। मैथिली में प्रकाशित कथा संग्रह गंगा स्नान के लिए उन्हेंं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सम्मानित कर चुके हैं। डीईओ नसीम अहमद का कहना है कि चंदना ने जिले का मान बढ़ाया है। उनके पढ़ाने के कौशल और अन्य विद्याओं में उनकी दक्षता शिक्षकों के लिए एक आदर्श है।
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