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    Muzaffarpur Weather Update: मानसून आने के बाद भी क्यों नहीं हो रही बारिश? विभाग ने सबकुछ बता दिया

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Sun, 10 Jul 2022 07:08 AM (IST)

    Today Weather Muzaffarpur रविवार की सुबह आसमान पूरी तरह से साफ है। खिली हुई धूप है। पूर्व दक्षिण और पूर्व दिशा से हवा चल रही है। आसमान में हल्के बादल रहेंगे लेकिन कहीं से भी बारिश होने के संकेत नहीं मिल रहे हैं।

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    मानसून के सक्रिय होने की कोई संभावना नहीं है। फाइल फोटो

    मुजफ्फरपुर/समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। उत्तर बिहार में अगले कुछ दिनों तक बारिश की कोई संभावना नहीं है। मानसूनी रेखा के दक्षिण की ओर होने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। हालांकि स्थानीय स्तर कहीं-कहीं बूंदाबांदी या हल्की वर्षा हो सकती है। यह कहना है मौसम विभाग का। डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डा. ए सत्तार ने बताया कि पूर्वानुमानित अवधि में मानसून के सक्रिय होने की कोई संभावना नहीं है। मानसूनी रेखा के दक्षिण की ओर होने के कारण बिहार में फिलहाल वर्षा की संभावना नहीं है। हालांकि स्थानीय स्तर पर हल्की वर्षा या बूंदाबांदी हो सकती है जिसमें तराई के जिलों में इसकी संभावना अधिक है। उन्होंने बताया कि इस अवधि में अधिकतम तापमान 36 से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है जबकि न्यूनतम तापमान 27 से 29 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 70 से 80 प्रतिशत तथा दोपहर में 50 से 55 प्रतिशत रहने की संभावना है। पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 10 से 12 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चलने का अनुमान है।

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    किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में कहा गया है कि मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अगले 2-3 दिनों तक वर्षा होने की संभावना बहुत ही कम है। इस अवस्था में रोपाई की गई फसल में जीवन रक्षक सिंचाई करें। धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के 2-3 दिन बाद तथा एक सप्ताह के अन्दर ब्यूटाक्लोर (3 लीटर दवा प्रति हेक्टेयर) या प्रीटलाक्लोर (1.5 लीटर दवा प्रति हेक्टर) या पेन्डीमिथेलीन (3 लीटर दवा प्रति हेक्टेयर) का 500-600 लीटर पानी मे घोल बनाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें। छिड़काव के वक्त खेत में एक सेमी पानी की उपस्थिति रहनी चाहिए। किसानों से उचास जमीन में तिल की बुआई करने का सुझाव दिया है। कृष्णा, कांके सफेद, कालिका और प्रगति तिल की अनुशंसित किस्में हैं।