भारत को बर्बाद करने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने रची साजिश, नेपाल का भी है इसमें रोल
पाकिस्तान की राजनीतिक व आर्थिक स्थिति बदतर है। बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचाने के लिए उसके पास राशन नहीं है लेकिन भारत के खिलाफ साजिश करने का कोई भी मौका वह नहीं चूकता है। पर्व त्याेहार के इस मौसम में आइएसआइ ने फिर से साजिश रची है।

रक्सौल (पूर्वी चंपारण), जागरण संवाददाता। नेपाल से सटे उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों से होकर भारत में जाली नोट खपाने का षड्यंत्र किया जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों ने खुफिया इनपुट मिलने के बाद पूर्वी चंपारण के रक्सौल में भारत-नेपाल सीमा पर अलर्ट जारी किया है। भारत-नेपाल सीमा पर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से सुरक्षा व्यवस्था में तैनात एजेंसियों को विशेष सतर्कता बरतने के साथ ग्रामीण रास्तों पर सशस्त्र सीमा बल के जवानों को गश्ती बढ़ाने का निर्देश है। नेपाल आर्म्ड पुलिस फोर्स के जवानों के साथ समन्वय स्थापित कर वाहनों की जांच भी की जा रही है।
- - नेपाल के रास्ते भारत में जाली नोट खपाने का षड्यंत्र
- - खुफिया इनपुट मिलने के बाद चौकस हुईं सुरक्षा एजेंसियां
- - ग्रामीण इलाकों में बढ़ाई गई गश्ती
- - सीमा पर वाहनों की जांच बढ़ी
पर्व-त्योहार में बढ़ जाती सक्रियता
अधिकारियों का कहना है कि दशहरा, दीपावली और छठ के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में कारोबार बढ़ जाता है। उन दिनों में यहां नोट तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। व्यावसायिक गतिविधियों का लाभ उठाकर तस्कर आसानी से नोटों को खपा देते हैं। इनपुट के अनुसार, इस बार पांच करोड़ से अधिक के जाली नोट खपाने की योजना है। इसके लिए युवाओं, बच्चों और महिलाओं का सहारा लिया जा सकता है।
सीमावर्ती क्षेत्र के युवकों का लिया जाता सहारा
बताया जाता है कि जाली नोट पाकिस्तान से निकलकर नेपाल के रास्ते भारतीय क्षेत्र में पहुंचाया जाता है, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाया जा सके। सीमावर्ती क्षेत्रों के बेरोजगार युवकों और महिलाओं को पैसे का प्रलोभन देकर आसानी से नोट को सीमा पार कराया जाता है। कई बार स्थानीय युवक भी पैसे के लालच में आकर अपना धंधा करने लगते हैं। वे बड़े तस्करों से जाली नोट खरीदकर स्थानीय बाजार में खपा देते हैं। सूत्रों की मानें तो एक लाख मूल्य के भारतीय जाली नोट 40 से 50 हजार असली नोट में मिल जाते हैं। इसके बाद इन्हें बंडलों में मिलाकर खपा दिया जाता है। ये नोट असली जैसे दिखते हैं। इनमें वाटरमार्क, सीरियल नंबर और तार का अंतर होता है। नोट में तार तो दिखता है, लेकिन इसमें आरबीआइ नहीं लिखा होता। भीड़भाड़ वाले इलाके में ये पकड़ में नहीं आते हैं।
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