ये युवा हैं यूनिक, एंजायमेंट का इनके पास खास इंतजाम, आप भी कहेंगे- अरे वाह
युवा अलग-अलग माध्यमों से आनंद प्राप्ति की कोशिश करते हैं। नाइट क्लव पार्टी डीजे ओटीटी जैसे सैकड़ों माध्यम हैं। मुजफ्फरपुर के कुछ युवा थोड़े अलग हैं। उन्होंने अपने एंजायमेंट के लिए खास इंतजाम किया है। अब हर कोई उनकी प्रशंसा कर रहा है।

मुजफ्फरपुर, [अजय पांडेय]। तकनीक आने के बाद से लोगों का जीवन तेजी से बदला है। इसका प्रभाव यह है कि अब लोग अलग-अलग ढंग से लाइन एंजाय करते हैं। खासकर युवा। उनका अंदाज सबसे अलग और जुदा होता है। इनके पास विकल्प भी हैं। इस भीड़ में मुजफ्फरपुर के कुछ युवा एक खास अंदाज में अपने को खुश करते हैं। उन्हें इस काम में बेहद खुशी मिलती है। रोचक यह है कि उनके इस कूल अंदाज की लोग खूब सराहना कर रहे हैं। अंधेरी रात और सूनसान सड़क...। कहीं बंद दुकान के नीचे सो रहे बेघर तो कहीं देर रात सवारी का इंतजार करते रिक्शाचालक। कोई आधा पेट तो कोई खाली...। भूख की लाचारी को तोडऩे रात के अंधेरे में कुछ युवा निकलते हैं और जरूरतमंदों के चेहरे पर 'रोटी की मुस्कान' दे जाते हैं। इनकी पहल उन लोगों की उम्मीद बन रही जो हजारों-लाखों की भीड़ में उपेक्षित व भूखे हैं। मुजफ्फरपुर में इसकी शुरुआत इस साल 16 फरवरी को देवकांत झा, युगांक मिश्र, आकाश सिन्हा, रोहन सिंह और कन्हाई कुमार के नेतृत्व में हुई थी। अब इसमें 10 सदस्य हैं। नौकरी और व्यावसायिक पृष्ठभूमि से आनेवाले युवा आपसी सहयोग से खर्च को वहन कर रहे हैं।
- - मुजफ्फरपुर में रोज 100 लोगों को रात में भोजन का पैकेट उपलब्ध करा रहे युवा
- -नौकरी व व्यावसायिक पृष्ठभूमि से आनेवाले युवा स्वयं वहन कर रहे खर्च
खाने के साथ पानी भी
देवकांत के अनुसार, करीब 1300 रुपये की लागत से खाने के 100 पैकेट तैयार होते हैं। शहर से सटे कन्हौली स्थित एक ढाबे में खाने के पैकेट तैयार किए जाते हैं। उसमें पूरी-सब्जी, चावल-सब्जी व रोटी-सब्जी के अलावा शनिवार को अनिवार्य रूप से खिचड़ी शामिल होती है। टीम पांच-पांच सदस्यों में बंटकर अलग-अलग क्षेत्रों में निकलती है। चौक-चौराहों या गली-मोहल्लों में पैकेट का वितरण करते हैं। खाने के साथ 10 रुपये वाली पानी बोतल भी होती है।
मन की बात से बढ़ा उत्साह
देवकांत का कहना है कि जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने की प्रेरणा वाराणसी के रोटी बैंक से मिली थी। वहां के युवा भी इसी तरह जरूरतमंदों को रात का भोजन कराते हैं। बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में ऐसे युवाओं के कार्यों की चर्चा और सराहना की तो हमारा भी उत्साह बढ़ा। इससे प्रेरित होकर हमने जिले में यह पहल की है। धीरे-धीरे हम पैकेट्स की संख्या बढ़ाएंगे। अगले चरण में रेलवे स्टेशन और अस्पतालों तक पहुंचेंगे, जहां सैकड़ों बेघर व भूखे पनाह पाते हैं।
नहीं होने देते खाने की बर्बादी
टीम के सदस्य युगांक मिश्र का कहना है कि हमारा उद्देश्य भोजन की बर्बादी को रोकना भी है। आमतौर पर घरों में होनेवाले आयोजन में पांच से 10 लोगों का अतिरिक्त खाना बच जाता है। टीम के सदस्य ऐसे लोगों से संपर्क कर खाना लेते हैं। इसके लिए उन्होंने इंटरनेट मीडिया और ग्रुप में मोबाइल नंबर भी साझा किया है। चौक-चौराहों व मोहल्लों में पर्चे लगाकर बचा खाना देने की अपील की गई है। ये लोग खाना लेने से पहले दानकर्ता के साथ बैठकर खुद खाकर जांच करते हैं। ठीक होने पर ही लेते हैं और उसे दिन में वितरित कर देते हैं।
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