सिंगल यूज प्लास्टिक बैन हो गया तो न हों परेशान, इन 10 विकल्पों से जीवन हो जाएगा आसान
Single Use Plastic Ban बदलते दौर के साथ हमलोगाें के जीवन में प्लास्टिक का उपयोग काफी बढ़ गया है किंतु इसकी वजह से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए आज से सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन कर दिया गया है। ये 10 विकल्प परेशानी को कम कर देगा।
मुजफ्फरपुर, आनलाइन डेस्क। सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए सरकार ने आज से इसको बैन कर दिया है। स्वभाविक रूप से इसकी वजह से लोगों काे परेशानी होगी। हमलोगों का जीवन इस पर इतना निर्भर हो गया था कि सामान खरीदने के लिए हमलोग खाली हाथ ही बाजार पहुंच जाते थे। जैव प्लास्टिक, जूट बैग, प्लेटिनम सिलिकॉन, स्टेनलेस स्टील, कांच, बांस, मिट्टी के बर्तन और चीनी मिट्टी की चीज़ें का उपयोग बढ़ा सकते हैं। इसके अलावे आइआइएससी, बंगलोर के एक रिसर्च के अनुसार धान और अन्य फसलों के पराली से निकलने वाले सेल्युलोज में डाइ-आइसोसायनेट यौगिक\कंपाउंड के मिश्रण के इस्तेमाल व अरंडी के तेल को प्रोसेस कर एक प्रकार की शीट तैयार होती है, जिससे बने बैग, बर्तन, कंटेनर, बनाए जा सकते हैं। नीचे के 10 विकल्पों का उपयोग कर हम अपनी जिंदगी को सरल बना सकते हैं।
- प्लास्टिक कप - कुल्हड़ या पेपर कप
- प्लास्टिक कैरी बैग - काटन बैग
- प्लास्टिक झंडे - कपड़े के झंडे
- प्लास्टिक ईयर बड्स: बांस ईयर बड्स
- प्लास्टिक कटलरी - बांस, स्टील, लकड़ी के कटलरी, पत्तल प्लेट
- प्लास्टिक कैंडी स्टिक्स - बांस कैंडी स्टिक
- थर्मोकोल - कपड़े, कागज
- प्लास्टिक स्ट्रॉ - बांस या पेपर के स्ट्रॉ
- पैकेजिंग फिल्म - बटर पेपर, केले का पत्ता, कागज
- पीवीसी बैनर - कपड़ा कैनवास पेपर
क्या होता है सिंगल यूज प्लास्टिक
अगस्त 2021 में पर्यावरण मंत्रालय ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन संशोधन नियम जारी किया था। इसके तहत एक जुलाई 2022 से देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक के सामान के उत्पादन, आयात, वितरण, भंडारण, बिक्री तथा इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है। तात्पर्य यह कि 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगा दिया गया है। भारत में 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग प्रतिबंधित होंगे।
60 से अधिक दुकानों में डंप है दो करोड़ से ज्यादा की प्लास्टिक
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर सहित देश भर में आज से सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह बंद हो गई। इससे जिले के 60 से अधिक थोक व खुदरा दुकानों में दो करोड़ से ज्यादा की सिंगल यूज प्लास्टिक डंप हो गई है। सरकार के इस फैसले को व्यापारियों ने सराहना की है। प्लास्टिक के होलसेल विक्रेता गोपाल भारतीया ने बताया कि सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। चैंबर आफ कामर्स के महामंत्री सज्जन शर्मा ने बताया कि सरकार को इसके उत्पादन पर ही रोक लगा देनी चाहिए। गल्ला व्यवसायी संघ के दिलीप कुमार ने बताया कि प्लास्टिक व्यापारियों को काफी घाटा हो जाएगा। इससे उबरने की भी सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए।
सबसे अधिक इस्तेमाल किराना दुकान में
उल्लेखनीय है कि सिंगल यूज प्लास्टिक का सबसे अधिक इस्तेमाल किराना दुकान, सब्जी, मछली सहित अन्य खुदरा विक्रेता करते हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल कर लोग फेंक देते हैं, जिसके बाद मिट्टी वाली सतह पर यह पालीथिन दब जाती है। इसके अतिरिक्त जब यह पालीथिन नाली-नालों में फेंकी जाती है। इनके माध्यम से पालीथिन समुद्र तक पहुंच जाती हैं। पालीथिन मिट्टी तथा पानी में पहुंचते ही छोटे कणों में विघटित हो जाती है। इसके अतिरिक्त पालीथिन सौ से अधिक वर्षों तक पानी तथा मिट्टी में विद्यमान रहती है। धीरे-धीरे विषाक्त रसायन बाहर निकलते रहते हैं। जो कि धरती के सुंदर पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इस प्रकार पालीथिन जल, मृदा तथा प्राणियों को आंतरिक रूप से नुकसान पहुंचाती है।