बिहार के समस्तीपुर में इस झील के किनारे हुआ था यक्ष–युधिष्ठिर संवाद
समस्तीपुर के सरायरंजन प्रखंड स्थित रुपौली बुजुर्ग में पहले घनघोर जंगल था। महाभारत काल में यहां के विशालकाय देवखाल झील के किनारे यक्ष और युधिष्ठिर संवाद हुआ था। जनश्रुति है कि धर्मराज ने यहां की देवी जयमंगला की आराधना की थी। आज भी जयमंगला माता स्थान प्रसिद्ध है।

समस्तीपुर, जासं। प्राय: हर गांव का नाम ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व पर रखा जाता है। पर अतीत के आईने में झांकने का प्रयास बहुत कम लोग ही करते हैं। जनश्रुति है कि महाभारत काल में यहांं के विशालकाय देवखाल झील के किनारे यक्ष और युधिष्ठिर संवाद हुआ था। हम बात कर रहे हैं सरायरंजन प्रखंड के चार बुजुर्ग गांव के नामकरण को लेकर। प्रखंड क्षेत्र में चार ऐसे गांव हैं जिनके नाम के आगे बुजुर्ग शब्द जुड़ा हुआ है, इनमें रुपौली बुजुर्ग, बथुआ बुजुर्ग, बखरी बुजुर्ग तथा रायपुर बुजुर्ग के नाम शामिल हैं। बुजुर्ग शब्द सुनते ही हम लोग उम्र और विचारों से परिपक्व व्यक्ति के बारे में सोचने लगते हैं। मगर हम यहां एक ही क्षेत्र के चार ऐसे बुजुर्ग की बात कर रहे हैं जो "स्थान" है । इनकी अलग-अलग विशेषताएं हैं ।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की
इन गांव के कई ऐसे सपूत हुए जिन्होंने राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की । वहीं इन गांव के ऐतिहासिक , धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी हैं । सैकड़ों वर्ष पहले रुपौली बुजुर्ग एवं उसके आसपास के इलाकों में घनघोर जंगल था। जनश्रुति है कि महाभारत काल में इसके बगल में विशालकाय देवखाल झील के किनारे यक्ष और युधिष्ठिर संवाद हुआ था। तत्पश्चात धर्मराज ने यहां की देवी जयमंगला की आराधना की थी। आज भी जय मंगला माता स्थान जहां प्रसिद्ध है। बथुआ बुजुर्ग स्थित डिहवारनी स्थान में ग्राम देवी के रूप में मां डिहवानी की पूजा –अर्चना वर्षों से की जा रही है। इस गांव ने तो कई अनमोल रत्न दिए हैं।
क्रिकेट में नाम रोशन किया
प्रखंड के सर्वाधिक शिक्षक एवं विद्वतजन के जन्म स्थल के रूप में इसकी पहचान है । इतना ही नहीं भौतिकी विज्ञान के उद्भट विद्वान पटना विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी सुदर्शन प्रसाद सिंह के नाम से भी इसे राष्ट्रीय पहचान मिली। "लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में नाम दर्ज कराने वाले क्रिकेट के आंकड़ेबाज मुकुंद प्रसाद सिंह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांव का नाम रोशन हुआ । वहीं जनकवि गनौर गिरि ,अधिवक्ता आमिर प्रसाद सिंह और सूर्य देव प्रसाद सिंह ने भी गांव का मान बढ़ाया ।
मक्खन सदा ने बनाई पहचान
ऐतिहासिक जमुआरी नदी एवं नून नदी के बीच रायपुर बुजुर्ग गांव की पहचान भी निराली है। यहां निषादों के महाबली केवल का अखाड़ा गांगमोहन घाट प्रसिद्ध है । भोजपुरी रंगमंच के प्रसिद्ध कलाकार मक्खन सदा ने भी सूबे बिहार में इस गांव का नाम रोशन किया। वहीं बखरी बुजुर्ग स्थित प्राचीन तालाब के किनारे बृजेश्वर धाम के कारण उक्त गांव का नाम सुर्खियों में रहता है। यहां सालों भर धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। रूपौली बुजुर्ग की मुखिया उषा देवी कहती हैं कि बिना भेदभाव के गांव में विकास कार्य कराए जा रहे हैं । वहीं बखरी बुजुर्ग की मुखिया माधुरी देवी कहती हैं कि समस्याओं के समाधान की दिशा में काम हो रहा है । रायपुर बुजुर्ग पंचायत की मुखिया कामिनी देवी कहती हैं कि यहां के लिए काफी कुछ काम किया गया है।
ऐसे पड़ा नाम
बथुआ बुजुर्ग के पूर्व मुखिया अनिरुद्ध प्रसाद सिंह कहते हैं कि यह पंचायत बहुत बड़ी थी । प्राचीन काल से ही यहां के लोग मिलनसार हुआ करते थे । कभी झगड़ा –झंझट हुआ भी तो उसे आपस में सुलझा दिया जाता था। नई पीढ़ी भी बुजुर्गों के बताए रास्ते पर चलती थी । इसलिए गांव के नाम के आगे बुजुर्ग शब्द जुड़ते गए ।
सरायरंजन के विधायक विजय कुमार चौधरी ने कहा कि यह गांव ऐतिहासिक हैं। कई किवदंतियां भी यहां से जुड़ी हुई हैं। इतिहास में भी इसका वर्णन मिलता है।
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