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    बिहार के इस जिले पर मंडरा रहा कालाजार का खतरा, रेडजोन में 288 गांव

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 04 Aug 2022 10:36 AM (IST)

    Muzaffarpur Health जिले में अभी 23 कालाजार व 27 चमड़े वाले कालाजार के मरीज हैं। वहीं इसकी निगरानी के लिए आठ वेक्टर जनित रोग पर्यवेक्षक और तीन वेक्टर जनित रोग निरीक्षक लगातार काम कर रहे हैं ।

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    मरीजों को मिल रही सिंगल डोज वाली दवा। प्रतीकात्मक फोटो

    मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। कालाजार के रेडजोन में जिले के 288 गांव शामिल हैं। इसपर नियंत्रण के लिए नियमित जागरूकता व छिड़काव चल रहा है। दो साल पहले सरकार की ओर से मुजफ्फरपुर को कालाजार नियंत्रित जिला घोषित किया जा चुका है। इसके बावजूद विभाग पूरी सजगता बरत रहा है। जिले में अभी 23 कालाजार व 27 चमड़े वाले कालाजार के मरीज हैं। विभाग की ओर से आठ वेक्टर जनित रोग पर्यवेक्षक और तीन वेक्टर जनित रोग निरीक्षक कार्यरत हैं। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ केयर इंडिया, पीसीआइ व डब्ल्यूएचओ का सहयोग मिल रहा है।

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    रेडजोन में यह गांव

    औराई छह, बंदरा में सा, बोचहां में 11, गायघाट में 15, कांटी में 10, कटरा में 12, कुढऩी में 26, मड़वन में 13, मीनापुर में 28, मोतीपुर में 35, मुरौल में चार, मुशहरी में 19, पारू में 47, साहेबगंज में 25, सकरा में 11 व सरैया में 19 गांव रेडजोन में शामिल है।

    कालाजार मरीज को मिल रही ये सुविधा

    जिला वेक्टरजनित रोग पदाधिकारी डा.सतीश कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से इलाज के लिए सिंगल डोज दवा मिल रही है। मरीज को पारिश्रमिक के रूप में 71 सौ रुपये और आशा, रूरल हेल्थ प्रैक्टिशनर या कालाजार इन्फार्मर को पांच सौ रुपये प्रोत्साहन राशि के तौर पर भुगतान किया जा रहा है। चमड़े के कालाजार मरीज का 84 दिन इलाज चलता है और उसके लिए चार हजार रुपये दिए जाते हंै।

    कालाजार के लक्षण

    एक सप्ताह या उससे ज्यादा दिन से बुखार रुक-रुक कर या तेजी से तथा दोहरी गति से आना, भूख नहीं लगना, वजन में कमी, शरीर में दुर्बलता, कमजोरी महसूस होना।

    इलाज की सुविधा

    जिला परामर्शी प्रीतेकेश परमार्थी ने बताया कि इलाज के लिए जिले में सरैया, पारू, मोतीपुर, साहेबगंज पीएचसी, सदर अस्पताल व मेडिकल कालेज का चयन किया गया है। मरीज को एक दिन रहना पड़ता है। दवा सभी जगह पर उपलब्ध है।

    गांव चयन का यह मानक

    विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विगत तीन साल में अगर एक भी मरीज किसी राजस्व गांव में मिलता है तो उसका चयन रेड जोन के लिए किया जाता है। यहां पर छिड़काव के साथ जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

    इस मानक पर जिला

    प्रखंडवार दस हजार आबादी पर एक मरीज या उससे कम होने पर कालाजार नियंत्रित जिले का दर्जा मिलता है। मुजफ्फरपुर को 2020 में सरकार की ओर से सर्वे कराने के बाद कालाजार नियंत्रित जिला का दर्जा दिया गया है।

    रोकथाम के लिए उठाए गए कदम

    - पर्यवेक्षण गांव स्तर पर चल रहा है। जिला स्तर से टीम को भेजा जा रहा है। नियमित टीकाकरण अभियान व पीएचसी में होने वाली साप्ताहिक समीक्षा में अधिकारी इसका फीड बैक लेते हैं।