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    पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में तत्‍कालीन भाजपा पद‍ाधिकारियों की पूरी हुई गवाही, शहाबुद्दीन पर कही यह बात

    By Arun Kumar JhaEdited By: Prateek Jain
    Updated: Fri, 04 Aug 2023 10:46 PM (IST)

    पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में सीबीआई की ओर से विशेष कोर्ट (एमपी/एमएलए मामले) में सिवान के भाजपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष अभिमन्यु कुमार व जिला महामंत्री राहुल तिवारी को गवाह के रूप में पेश किया गया। इन दोनों ने कोर्ट के समक्ष गवाही में कहा कि 2014 के नवंबर-दिसंबर में एक अखबार में जेल से 23 लोगों की हिटलिस्ट जारी किए जाने की खबर प्रकाशित की गई थी।

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    पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में तत्‍कालीन भाजपा पद‍ाधिकारियों की गवाही पूरी हुई।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर: पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में सीबीआई की ओर से विशेष कोर्ट (एमपी/एमएलए मामले) में सिवान के भाजपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष अभिमन्यु कुमार व जिला महामंत्री राहुल तिवारी को गवाह के रूप में पेश किया गया।

    इन दोनों ने कोर्ट के समक्ष गवाही में कहा कि 2014 के नवंबर-दिसंबर में एक अखबार में जेल से 23 लोगों की हिटलिस्ट जारी किए जाने की खबर प्रकाशित की गई थी। यह लिस्ट पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की ओर से जारी की थी। हालांकि, उन दोनों ने वह अखबार नहीं पढ़ा था।

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    शनिवार को भी होगी सुनवाई

    सामाजिक स्तर पर यह चर्चा हो रही थी कि राजनीतिक विरोधी होने के कारण उन दोनों का नाम भी उस हिटलिस्ट में है। इस हिटलिस्ट की खबर प्रकाशित होने के बाद तत्कालीन सांसद ओमप्रकाश यादव के प्रतिनिधि श्रीकांत भारतीय की हत्या कर दी गई थी।

    वहीं, अपने दो भाइयों की हत्या के गवाह राजीव रोशन की भी हत्या कर दी गई। दोनों गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी है। इस मामले में शनिवार को भी विशेष कोर्ट में सुनवाई होगी।

    गवाहों ने कोर्ट के समक्ष कहा कि नौ मार्च 2016 में जेल में पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से राज्य सरकार के तत्कालीन मंत्री अब्दुल गफूर के मिलने की खबर भी फोटो के साथ एक अखबार में प्रकाशित हुई थी। बाद में पता चला कि यह फोटो व खबर पत्रकार राजदेव रंजन ने अपने अखबार में प्रकाशित की थी।

    इसके बाद ही राजदेव रंजन की हत्या हो गई। इससे पहले उन्हें जानकारी मिली थी कि राजदेव रंजन से उनके ऑफिस में घुसकर कुछ लोगों ने मारपीट की थी। हालांकि, दोनों ने कोर्ट के समक्ष कहा कि राजदेव रंजन की हत्या किस कारण से और किसने करवाई, इसकी कोई चर्चा उन्होंने नहीं सुनी।