मुजफ्फरपुर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने तैयार किया रोडमैप, कृषि सखी की होगी महत्वपूर्ण भूमिका
मुजफ्फरपुर जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 15 क्लस्टरों में 750 हेक्टेयर भूमि पर खेती कराई जाएगी जिसमें 1875 किसान शामिल हैं। किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए 30 कृषि सखी समूह बनाए गए हैं। जिले में 30 बायो रिसोर्स सेंटर स्थापित किए गए हैं जहां से किसान जैविक खाद और कीटनाशक प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड भी दिए जा रहे हैं।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। जिले में रासायनिक खेती के स्थान पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री प्राकृतिक खेती योजना के अंतर्गत कृषि विभाग ने जिले के 15 क्लस्टरों में 750 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती करने का निर्णय लिया है।
प्रत्येक क्लस्टर में 50 हेक्टेयर भूमि को चिह्नित किया गया है, जिसमें 1875 किसानों को शामिल किया गया है। किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों और जिला कृषि पदाधिकारियों की टीम कार्यरत है।
इस अभियान के नोडल पदाधिकारी सहायक निदेशक (रसायन) कुणाल सिंह को नियुक्त किया गया है। उन्होंने हाल ही में भुवनेश्वर से प्रशिक्षण प्राप्त किया है और अब वे जिले में किसानों को जागरूक करने का कार्य करेंगे।
कृषि विभाग के अनुसार, किसानों को रसायनमुक्त खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता और मृदा की उर्वरता दोनों बनी रहें। इसके लिए 30 सदस्यीय कृषि सखी समूह का गठन किया गया है, जो किसानों को तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों को जैविक खाद, जैविक कीटनाशक और गो-आधारित उत्पादों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। भविष्य में प्राकृतिक उत्पादों का प्रमाणन भी किया जाएगा, जिसके लिए पटना से एक टीम आकर जांच करेगी और प्रमाणित उत्पादों को प्राकृतिक टैग प्रदान किया जाएगा। हर प्रखंड में एक या दो किसानों को समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई है।
प्राकृतिक खाद और कीटनाशक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जिले में 30 बायो रिसोर्स सेंटर स्थापित किए गए हैं। यहां से किसान जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र जैसे परंपरागत जैविक उत्पाद प्राप्त कर सकेंगे।
इसके साथ ही, किसानों को जैविक बीज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि किसानों की मिट्टी की जांच कर उन्हें मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया जा रहा है। कार्ड के अनुसार ही उर्वरकों का चयन किया जाएगा। अब तक अभियान के तहत 317 मिट्टी नमूने लिए जा चुके हैं और विभिन्न स्थानों पर शिविर लगाकर कार्ड वितरण किया जा रहा है।
अभियान की प्रमुख बातें:
- 15 क्लस्टर, 750 हेक्टेयर भूमि, 1875 किसान जुड़े
- 30 कृषि सखी समूह और 30 बायो रिसोर्स सेंटर
- 317 मिट्टी नमूने लिए गए
- हर प्रखंड में 1-2 किसानों को समन्वयक बनाया गया
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।