कार से आए बदमाशों ने तौलिया से कारोबारी का चेहरा ढंक कर लिया था अपहरण, 33 वर्ष पुराने मामले में भुटकुन का केस बंद
Bihar Crime मुजफ्फरपुर में 1992 के अपहरण मामले में 33 साल बाद आरोपी अवधेश कुमार शुक्ला का केस बंद हो गया। कोर्ट ने आरोपी की मृत्यु के कारण कार्यवाही समाप्त कर दी। सीमेंट कारोबारी आनंद प्रसाद का अपहरण हुआ था जिसमें कई आरोपियों के नाम सामने आए थे। पुलिस ने कुर्की की और चार्जशीट दाखिल की थी। अपहृत कारोबारी ने अपहरण का विवरण भी दिया था।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। फिरौती के लिए अपहरण मामले में 33 वर्षों बाद अवधेश कुमार शुक्ला उर्फ भुटकुन शुक्ला का केस बंद कर दिया गया है। जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश-11 अंकुर गुप्ता ने इसका आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि अभिलेख के अवलोकन से स्पष्ट है कि आरोपित भुटकुन शुक्ला की मृत्यु 16 जुलाई 1997 को हो गई। आरोपित का संबंधित थाने से मृत्यु प्रतिवेदन प्राप्त है। उसकी मृत्यु के बाद केस में आगे की कार्यवाही जारी रखना संभव नहीं है। इसलिए भुटकुन शुक्ला के विरुद्ध इस वाद की कार्यवाही समाप्त की जाती है।
1992 में कारोबारी का किया गया था अपहरण
20 मार्च 1992 को चंद्रलोक चौक निवासी सीमेंट कारोबारी आनंद प्रसाद का अपहरण किया गया था। मामले में एलएस कालेज मेन गेट के सामने के रहने वाले उसके मित्र अजय कुमार सिंह ने काजीमोहम्मदपुर थाने में प्राथमिकी कराई थी। इसमें अज्ञात बदमाशों को आरोपित किया था।
प्राथमिकी में कहा था कि उनके मित्र आनंद प्रसाद का नयाटोला में सीमेंट का कारोबार है। घटना के दिन अपहृत कारोबारी के घरेलू नौकर रामचंद्र उनके घर पर आकर बोला मालिक सुबह पांच बजे चाय पी रहे थे। इस दौरान एंबेसेडर कार सवार बदमाश आए। उसमें बैठाकर अपहरण कर लिया। वह अपहृत कारोबारी के घर गए। चाय दुकानदार से पूछताछ में घटना का पता चला। उन्हें कारोबारी के स्वजन से पता चला कि आपराधिक षड्यंत्र के तहत अपहरण किया गया है।
एसपी के पर्यवेक्षण में आया था नाम
मामले में तत्कालीन एसपी ने कांड का पर्यवेक्षण किया था। 23 जुलाई 1995 के पर्यवेक्षण दो व तीन में कारोबारी के अपहरण मामले में कुख्यात लल्लु सिंह का नाम सामने आया। उसके अलावा कौशलेंद्र कुमार शुक्ला उर्फ छोटन शुक्ला, उसके भाई अवधेश कुमार शुक्ला उर्फ भुटकुन शुक्ला व शंकर कामती की घटना में संलिप्तता सामने आई थी।
छोटन व भुटकुन के घर हुई थी कुर्की
पुलिस ने छोटन व भुटकुन शुक्ला के घर की कुर्की की थी। इसके कुछ दिनों बाद छोटन शुक्ला की हत्या हो गई। कुर्की की कार्रवाई के बाद भुटकुन शुक्ला फरार हो गया। पुलिस ने छोटन शुक्ला को मृत, भुटकुन को फरार व शंकर कामती को गिरफ्तार बता 28 जुलाई 1995 को चार्जशीट दाखिल की थी।
छोटन शुक्ला की चार नवंबर 1994 में हत्या के बाद मामले की चार्जशीट दाखिल होने से उनका नाम उसी समय केस से हट गया, मगर भुटकुन शुक्ला का नाम रह गया। भुटकुन की हत्या चार्जशीट दाखिल होने के दो साल बाद हुई थी। अक्टूबर 1997 में भुटकुन की हत्या का आरोप उनके बाडीगार्ड दीपक सिंह पर लगा था।
आंख पर पट्टी बांध दियारा में रखा था कारोबारी को
अपहृत कारोबारी ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि वह सुबह चाय पी रहे थे। इस बीच कार से तीन बदमाश उतरे। तौलिया से उनका चेहरा ढंककर जबरन कार में बैठा लिया। विरोध पर पिस्तौल भिड़ा जान से मारने की धमकी दी। कार चालक समेत पांच बदमाश थे।
कार में उनकी आंख पर पट्टी बांधी गई। दो घंटे तक गाड़ी चलती रही। इसके बाद कुछ दूर पैदल चलाकर उन्हें नाव से कहीं ले जाया गया। उनके आंख से जब पट्टी खोली गई तो उन्हें दियारा इलाका में रखने का पता चला।
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