Litchi Farming: लीची पर स्टिंक बग का प्रभाव, किसानों के लिए एडवाइजरी जारी
मुजफ्फरपुर के मीनापुर और मुसहरी प्रखंडों में लीची के बागों पर स्टिंक बग का प्रकोप बढ़ रहा है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने निरीक्षण के बाद किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। डॉ. विकास दास ने बागों की नियमित निगरानी संतुलित कीटनाशक दवाओं के छिड़काव और सफाई रखने की सलाह दी है। समय पर नियंत्रण न होने पर 80 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। मीनापुर और मुसहरी प्रखंड के कई बागों में लीची पर स्टिंक बग (बदबूदार बग) का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। इस कीट के कारण किसान परेशान हैं। किसानों ने इसके बढ़ते प्रकोप को लेकर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र से शिकायत की।
शिकायत के बाद केंद्र की टीम ने निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की और किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विकास दास ने बताया कि प्रभावित बागों में नियमित निगरानी जरूरी है। समय पर कीट नियंत्रण के उपाय अपनाने से उत्पादन पर होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।
उन्होंने सलाह दी कि बग के प्रकोप को रोकने के लिए संतुलित मात्रा में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें। इसके साथ ही बागों की सफाई रखें और प्रभावित पत्तियों व फलियों को तोड़कर नष्ट कर दें।
डॉ. दास ने कहा कि केंद्र के वैज्ञानिक नियमित रूप से बागों का दौरा कर किसानों को सुझाव दे रहे हैं। उन्होंने मिट्टी की गुड़ाई करने और आवश्यकता पड़ने पर इमिडाक्लोप्रीड या थायोमेथाक्साम जैसी रासायनिक दवाओं का छिड़काव करने की सलाह दी। सामूहिक प्रयास से सामूहिक छिड़काव करना भी प्रभावी माना गया है।
उनका कहना है कि लीची बग समय पर नियंत्रित न होने पर फलों के झड़ने की समस्या बढ़ जाती है, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आती है। यह कीट कोमल कलियों, शाखाओं, फूलों और फलों का रस चूसकर 80 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा सकता है।
किसानों को सुबह और शाम नियमित रूप से बागों का निरीक्षण करने की हिदायत दी गई है ताकि शुरुआती स्तर पर ही कीट पर नियंत्रण पाया जा सके।
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