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    Darbhanga: अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफ साइंस के संपादकीय बोर्ड में मिथिला की स्मृति भी

    Darbhanga Newsमां जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी के चिकित्सक दंपती की बेटी स्मृति गुप्ता मनीगाछी के प्लस टू मिथिला हाई स्कूल बलौर में हैं जीव विज्ञान की शिक्षिका। सोलर ऊर्जा के माध्यम से कृषि उत्पादों को लंबे समय तक के लिए संरक्षित रखने के उपायों पर स्मृति ने किया है शोध।

    By Murari KumarEdited By: Updated: Thu, 25 Feb 2021 09:12 AM (IST)
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    सीतामढ़ी के चिकित्सक दंपती की बेटी स्मृति गुप्ता। (फाइल फोटो)

    दरभंगा [अबुल कैश नैयर]। एक बार फिर मिथिला की बेटी ने अपनी प्रतिभा का परचम सात समंदर पार अमेरिका में लहराया है। मां जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी में पली-बढ़ी चिकित्सक दंपती डॉ. रामनाथ प्रसाद और शांति गुप्ता की पुत्री स्मृति गुप्ता को अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफ साइंस के संपादकीय बोर्ड में स्थान मिला है। वो फिलहाल दरभंगा के मनीगाछी स्थित प्लस टू मिथिला हाई स्कूल बलौर में जीव विज्ञान की शिक्षिका है। लेकिन, समय निकालकर बाॅयोलॉजिकल साइंस, सेंटर फॉर रिन्यूवेबल इनर्जी एंड इनवायरमेंटल रिसर्च, मुजफ्फरपुर में शोध भी करती है।

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    संगोष्ठियों में शामिल होते-होते मिला मुकाम

    स्मृति गुप्ता लगातार लिखने पढ़ने में लगी रही। लगातार राज्य व राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार और संगोष्ठी में भाग लेती रहीं। इनके लेख हमेशा चर्चा में रहे। इनका लेख अमेरिका के प्रतिष्ठित जर्नल के संपादकों को भी पसंद आया। और स्मृति को अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफ साइंस के संपादक मंडल में शामिल किया है।

    2017 में हो चुकी हैं सम्मानित 

    बताया गया है कि स्मृति गुप्ता को 2017 में ग्याहरवें एशिया पैसिफिक कॉन्फ्रेंस ऑन सस्टेनेबल इनर्जी एंड इनवायरमेंट टेक्नोलॉजी में बेस्ट पोस्टर अवार्ड से नवाजा गया था। उनके शोध कार्यों को देश के अलावा विदेशों में सराहना मिली है।

    जीव विज्ञान और सौर ऊर्जा पर संयुक्त शोध के आधार पर चयन

    स्मृति का चयन जीव विज्ञान और सौर ऊर्जा को मिलाकर शोध कार्य करने के आधार पर किया गया है। उनका मुख्य शोध सोलर ऊर्जा के माध्यम से कृषि उत्पादों को लंबे समय तक के लिए संरक्षित रखना है।

    सीतामढ़ी से दरभंगा अब अमेरिका में नाम

    सीतामढ़ी निवासी डॉ. रामनाथ प्रसाद और डॉ. शांति गुप्ता की पुत्री स्मृति ने प्रारंभिक से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई सीतामढ़ी में की। इसके बाद जंतु विज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा बिहार विश्वविद्याल, मुजफ्फरपुर से लेने के बाद ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा से पीएचडी की उपाधि ली है।

    माता-पिता और गुरुजनों के आशीष का फल

    स्मृति बताती हैं कि उन्हें अबतक जो भी सफलता मिली है वह माता-पिता और गुरुजनों के साथ और आशीर्वाद का फल है। शिक्षा देने में माता-पिता ने कोई कमी नहीं की। सीतामढ़ी में ही व्यवसायी उमेश प्रसाद से ब्याह हो गया। इसके बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी। बच्चों को पढ़ाती हूं और इससे बचे समय में परिवार की देखभाल और शोध कार्य का करती हूं।