एसकेएमसीएच में शुरू होगी जेनेटिक जांच, सिकल सेल व थैलेसीमिया जैसी बीमारियों का मिलेगा नया इलाज
एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर में जेनेटिक जांच शुरू होगी, जिससे आनुवंशिक बीमारियों का इलाज होगा। आरएमआरआइ और आइसीएमआरआइ जेनेटिक लैब बनाएंगी। हीमोफीलिया, सिकल ...और पढ़ें

इस सुविधा के बाद जीन आधारित उपचार कारगर साबित होगा। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। SKMCH Muzaffarpur: उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच) में जल्द ही जेनेटिक जांच के जरिए आनुवंशिक बीमारियों के प्रभावी इलाज की सुविधा शुरू होने जा रही है।
इसके लिए आरएमआरआई (RMRIMS) और आईसीएमआर (ICMR) के सहयोग से अत्याधुनिक जेनेटिक लैब तैयार की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य आनुवंशिक रोगों की सटीक पहचान कर लक्षित और व्यक्तिगत उपचार उपलब्ध कराना है।
अस्पताल के इंडोर वार्ड में भर्ती आनुवंशिक रोगों से पीड़ित मरीजों पर शोध कर उनकी बीमारी के अनुसार प्रभावी दवाओं और उपचार पद्धतियों को विकसित किया जाएगा।
जेनेटिक जांच के माध्यम से हीमोफीलिया, सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया, मधुमेह (डायबिटीज), दमा, गठिया और फाइलेरिया जैसी बीमारियों के इलाज में जीन थेरेपी को नई उपचार पद्धति के रूप में अपनाया जाएगा।
इसके साथ ही यह भी पता लगाया जाएगा कि किसी विशेष क्षेत्र में आनुवंशिक बीमारियों का प्रकोप अधिक है या नहीं। क्षेत्र विशेष को चिह्नित कर रोकथाम की रणनीति तैयार की जाएगी।
फिलहाल आईसीएमआर और आरएमआरआई, एसकेएमसीएच परिसर स्थित होमी भाभा कैंसर संस्थान की जीनोम सिक्वेंसिंग लैब से समन्वय स्थापित कर इलाज की प्रक्रिया शुरू करेंगी।
जीनोम डेटा के आधार पर यह समझा जाएगा कि एक ही या अलग-अलग जीन में कौन-कौन सी बीमारियां विकसित हो रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अब डायबिटीज में जेनेटिक प्रोफाइलिंग के जरिए सटीक दवाओं का चयन संभव होगा। वहीं सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया।
जिनमें अब तक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प था, वहां जीन थेरेपी नई उम्मीद बनकर सामने आ रही है। एफडीए से अनुमोदित कैसगेवी और जिंटेग्लो जैसी जीन थेरेपी तथा CRISPR तकनीक के जरिए स्टेम कोशिकाओं को संशोधित कर हीमोग्लोबिन उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा।
सिकल सेल मिशन के तहत होगा आनुवंशिक परामर्श
एसकेएमसीएच के उपाधीक्षक सह औषधि विभाग के डॉ. सतीश कुमार सिंह ने बताया कि आनुवंशिक जांच से यह तय किया जा सकेगा कि किस मरीज के लिए कौन-सी दवा सबसे प्रभावी होगी। गठिया और दमा के कई प्रकार आनुवंशिक होते हैं, जिनमें जीन आधारित उपचार कारगर साबित होगा।
इसके साथ ही अस्पताल में आनुवंशिक परामर्श (Genetic Counseling) की सुविधा भी विकसित की जाएगी, ताकि विवाह से पहले ही यह आकलन किया जा सके कि आने वाली पीढ़ी में बीमारी का खतरा कितना है। इससे भविष्य में आनुवंशिक रोगों के प्रसार को काफी हद तक रोका जा सकेगा।

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