मिथिला रत्न कुंज बिहारी मिश्र के गीतों पर झूमे श्रोता, मैथिली गीतों ने घोली वातावरण में मिठास Muzaffarpur News
मुजफ्फरपुर के आम्रपाली ऑडिटोरियम में मनाया गया चाणक्य विद्यापति सोसायटी का छठा स्थापना दिवस समारोह। सांसद सतीशचंद्र दूबे ने कहा- मिथिला की धरती की विशिष्ट पहचान।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। मिथिला की धरती की अपनी विशिष्ट पहचान है। जनक नंदिनी सीता की यह धरती अपनी संस्कृति के लिए जानी जाती है। ये बातें बुधवार को आम्रपाली ऑडिटोरियम में आयोजित चाणक्य विद्यापति मिथिला महोत्सव में सांसद सतीश चंद्र दुबे ने कहीं। उन्होंने कहा कि हम महापुरुषों की विचारधारा को अपनाएं, उनके बताए मार्ग पर चलें, तभी समाज का उद्धार संभव है। संघर्ष की बदौलत व्यक्ति बड़ा से बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है। महोत्सव का उद्घाटन मंत्री सुरेश शर्मा सहित अतिथियों ने शंख ध्वनि व स्वस्ति वाचन के बीच दीप प्रज्वलित कर किया।
इसके बाद भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया। अतिथियों का अभिनंदन पंडित हरिशंकर पाठक के नेतृत्व में पंडितों ने चंदन लगाकर किया। फिर सोसायटी की ओर से माला, चादर, पाग, संस्कार पत्रिका व स्मृति-चिन्ह देकर समाज के विभूतियों व संगठन पदाधिकारियों का सम्मान किया गया।
सम्मानित होने वालों में मंत्री सुरेश शर्मा, सांसद सतीश चंद्र दुबे, वार्ड पार्षद सीमा झा, पूर्व पार्षद विजय झा, पूर्व मुखिया शिव कुमार झा, समाजसेवी भूषण झा, पंडित धीरज झा 'धर्मेशÓ डॉ.रूपा झा अधिवक्ता, प्रो.वीणा मिश्रा आदि थे। मौके पर मंत्री ने आयोजन की सराहना की। पंडित मदन मोहन मालवीय और अटल जी के आदर्शों को जीवन में अपनाने का आह्वान किया। कहा कि यदि हम अपने जीवन में इनके आदर्शों को अपना लें तो निश्चय ही यह शहर स्मार्ट सिटी होगा। उन्होंने शहर में किसी उपयुक्त जगह पर मालवीय जी की प्रतिमा लगवाए जाने की बात दुहराई।
मैथिली गीतों ने घोली वातावरण में मिठास
इस अवसर पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत 'जय जय भैरवि असुर भयाउनिÓ गीत पर भाव-नृत्य से हुई। फिर मिथिला रत्न कुंज बिहारी मिश्र ने मैथिली गीतों की प्रस्तुति से लोगों को मुग्ध कर दिया। उनके गीतों को सुनकर लोग बरबस कार्यक्रम स्थल की ओर से खींचे चले आ रहे थे। एंकर की भूमिका में मिथिलेश कुमार थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सोसायटी अध्यक्ष पंडित विनय पाठक और संचालन पंडित शंभूनाथ चौबे ने किया।
इसमें सीतामढ़ी से आए महंत रविशंकर दास, आचार्य संजय तिवारी, राम बालक भारती, राजदेव तिवारी, पंडित अमित तिवारी, पंडित विश्वनाथ झा, चंद्रमणि पाठक, सुधीर झा, विकास झा, कन्हैया झा, सोसायटी सचिव अभय चौधरी, पप्पू झा, अजयानंद झा, पिंकू झा, प्रो.शशिकांत पाठक आदि ने भी सक्रिय रूप से योगदान दिया।
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