Shardiya Navratri: बिहार का एकमात्र छिन्नमस्तिका माता मंदिर मुजफ्फरपुर में, तंत्र विज्ञान पद्धति से निर्माण
Shardiya Navratri मुजफ्फरपुर के कांटी में मां छिन्नमस्तिका मंदिर एक प्रसिद्ध सिद्धपीठ है। यह बिहार का एकमात्र ऐसा मंदिर है। यहाँ साल भर भक्त पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर का भूमि पूजन 2000 में हुआ था। नवरात्र में विशेष पूजा होती है जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और मन्नतें मांगते हैं।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Shardiya Navratri 2025 : जिले के कांटी में स्थित मां छिन्नमस्तिका मंदिर सिद्धपीठ के रूप में विख्यात है। यहां सालों भर भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते रहते हैं। यह मंदिर देश का दूसरा व बिहार का एकमात्र छिन्नमस्तिका माता का मंदिर है। यह मुजफ्फरपुर-मोतिहारी रेल रूट व एनएच पर अवस्थित है। इस रास्ते से आने-जाने वाले मां का दर्शन करते हैं।
मंदिर का इतिहास
माता छिन्नमस्तिका मंदिर का भूमि पूजन वर्ष 2000 में व प्राण प्रतिष्ठा 2003 में हुई थी। इस दौरान रजरप्पा से पूजित त्रिशूल स्थापित किया गया था। मंदिर पूरी तरह तंत्र विज्ञान पद्धति पर बना है। मंदिर का गुंबद नवग्रह व आठ सीढ़ियां पांच तत्व व तीन गुणों का प्रतीक है। मंदिर के संस्थापक महात्मा आनंद प्रियदर्शी ने बताया कि मां छिन्नमस्तिका सृष्टि के केंद्र से जुड़ी हैं। भक्तों का आना भी लगातार जारी है।
मंदिर की विशेषता
बिंदु वाम स्वरूप व बलि प्रधान होते हुए भी यहां देवी के विशुद्ध वैष्णव रूप की पूजा होती है। देश के कोने-कोने से यहां साधक तंत्र सिद्धि व साधना के लिए आते हैं। प्रत्येक अमावस्या को होने वाली निशा पूजा का विशेष महत्व है। श्रद्धालु यहां चुनरी में नारियल बांधकर मंदिर में मन्नत मांगते हैं। नवरात्र को लेकर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हो रही है। मंदिर को भी सजाया संवारा जा रहा है।
मंदिर की प्रमुख विशेषता यह है कि अघोरपंथ होते हुए भी यहां बलि नहीं होती है। यहां वैष्णव रूप में पूजा होती है। मंदिर में साधना का विशेष महत्व है। मां सबकी इच्छा पूर्ण करती हैं।
बाबा आनंद प्रियदर्शी, साधक
नवरात्र में मंदिर में श्रद्धालुओं का दिनभर तांता लगा रहता है। एनएच 28 से होकर गुजरने वाले यात्रियों का मस्तक मंदिर को देखकर श्रद्धा से झुक जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मुकेश प्रियदर्शी, पुजारी
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