Sheohar News: चुनाव में हारकर भी शिवहर की सियासत में चर्चा का केंद्र बने शरफुद्दीन
Sheohar Politics News विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद भी जदयू नेता सह पूर्व विधायक मो. शरफुद्दीन एकबार फिर चर्चा में है। शिवहर की सियासत ...और पढ़ें

शिवहर, जेएनएन। विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद भी जदयू नेता सह पूर्व विधायक मो. शरफुद्दीन एकबार फिर चर्चा में है। शिवहर की सियासत में शरफुद्दीन के विधान परिषद में भेजे जाने की चर्चा जोरों पर है। माना जा रहा हैं कि शीघ्र ही शरफुद्दीन को जदयू कोटे से विधानसभा भेजा जाएगा। हालांकि, इस मुद्दे पर पूर्व विधायक ने चुप्पी साध रखी है। लेकिन समर्थकों की माने तो अल्पसंख्यक बिरादरी से आने के कारण शरफुद्दीन को जदयू विधान पार्षद बना सकती है। वैसे यह चुनाव मो. शरफुद्दीन के लिए काफी नुकसानदायक रहा। शुरूआती दौर से ही शिवहर सीट पर भाजपा की दावेदारी रही। सीट जदयू के खाते में गई तो भाजपा ने मो. शरफुद्दीन का विरोध करना शुरू कर दिया।
एनडीए के वोट बैंक में लोजपा और भाजपा के बागी नेता ने सेंधमारी कर दी। इसका फायदा राजद को मिला। चारो ओर से घिरे शरफुद्दीन को आखिरकार शिकस्त का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं उनपर लूट और डकैती की प्राथमिकी भी दर्ज की गई। मतदान बाद तीन पुत्रों को जेल जाना पड़ा। वर्ष 2010 और 2015 में शानदार जीत दर्ज करने वाले शरफुद्दीन को करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं शिवहर सीट से हैट्रिक का सपना भी टूट गया। शरफुद्दीन की हार की वजह भीतरघात रही।
जबकि, शिवहर की महिलाओं ने भी उनके पक्ष में मतदान किया। लोगों की नाराजगी सीएम से नही बल्कि शरफुद्दीन रही। जबकि दल-गठबंधन के भीतरघात के चलते शरफुद्दीन को एनडीए का कैडर वोट भी नहीं मिला। उधर, अल्पसंख्यक बिरादरी का वोट भी टूकड़ों में बंट गया। शिवहर की एक सीट से सीतामढ़ी-शिवहर के नौ सीटों पर अल्पसंख्यक मतदाताओं को खींचने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने शरफुद्दीन का टिकट नहीं काटा था। लेकिन, इसका कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसे में माना जा रहा हैं कि हारने के बावजूद शरफुद्दीन को सीएम की सौगात मिलेगी।

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