Sawan 2025 : 80 किलोमीटर पैदल चले, पांव थके नहीं, हारे नहीं, सड़क के पत्थर बने फूल
पूरा मुजफ्फरपुर शिवमय है। स्थिति यह है कि हर जुबां शिव पुकारे...। 80 किमी की दूरी तय कर पहुंचे भक्तों में किसी को लाठी सहारा किसी का बेटा...मां का पांव धोतीं अनमोल बेटियां। बाबा की नगरी में मन अभिभूत है। रोम-रोम में शिव। आज श्रद्धा के जल से आज आस्था का अभिषेक हो रहा।

अजय पांडेय, मुजफ्फरपुर। पैर में छाले, हर जुबां शिव पुकारे...। कुछ दौड़ रहे-कुछ चल रहे...कुछ मनौती में नतमस्तक। किसी को लाठी सहारा, किसी का बेटा...मां का पांव धोतीं अनमोल बेटियां। बाबा की नगरी में मन भावुक है। विभोर है। अभिभूत है। प्रवाहमान आस्था के बीच रोम-रोम में शिव।
कदम-कदम पिता करता जय-जयकार
पत्थर-पत्थर शिव, जन-मन में शिव। जहां तक नजर जाती है, हर ओर शिवाकार। बाबा ने भाई को ठीक किया तो बहन आज साष्टांग है, बेटे को नया जीवन मिला तो कदम-कदम पिता करता जय-जयकार है। श्रद्धा के जल से आज आस्था का अभिषेक हो रहा। सावन के तीसरे सोमवार से पहले रविवार की रात...!
कोई बैजू बम तो कोई बम-बम
शिवमय शहर चल रहा, जाग रहा, बाबा का गुणगान कर रहा। सड़कों पर भगवा लहर है, बोलबम का स्वर है। नाम पता नहीं, पहचान है नहीं, कोई बैजू बम तो कोई बम-बम। पहलेजा घाट से जलबोझी कर 80 किलोमीटर पैदल चले आस्था के पांव थके नहीं, हारे नहीं...सड़क के पत्थर आज फूल बने हैं, कंकड़-कंकड शिव बना है। रविवार को दिन में शिव पथिकों ने इंतजार किया और शाम होते ही गूंज उठा... काल हर, कष्ट हर, दुख हर, दरिद्र हर, रोग हर, हर-हर महादेव...!
भाई को बीमारी ने घेरा तो बहन बन गई ढाल
सिकंदरपुर की रश्मि आज भाई के लिए बाबा के दरबार में है। भाई को बीमारी ने घेरा तो बाबा के दर पर माथा टेका, मनौती पूरी हुई तो दंडी यात्रा निकाली। भाई राजेश धन्य है। भावुक हैं। कहने लगे बहन की प्रार्थना ने जीवन दिया, अब जीवन उसके लिए। रक्षाबंधन पर जीवन बहन के नाम...।
चोट लगी तो बाबा की मनौती की
बहन की रक्षा में आज मुजफ्फरपुर के रंजन भी समर्पित हैं। बहन सोनी को हाथ में चोट लगी तो बाबा की मनौती की। ई-रिक्शा से गिरने के कारण हाथ की हड्डी टूट गई थी। हाथ ठीक हुआ तो बाबा के दरबार में अर्पित-समर्पित हैं। यात्रा के क्रम में नौ साल के भाई सनोज का पैर लड़खड़ाया तो 14 साल की बहन चांदनी ने हाथों को थाम लिया और भाई बम को कदम-कदम संभाला।
बेटे की लौटी सांस तो पूरी हुई आस
यहां हर चेहरे में कामना है। आस्था, निष्ठा और श्रद्धा है। विश्वास का प्रवेग है। तन-मन का समर्पण है। मुजफ्फरपुर के विपिन को देख लीजिए, पहलेजा से जल लेकर बाबा के दरबार में हैं। कोराना काल में पांच साल के बेटे मोहित की सांस पर संकट आया तो बाबा का नाम लिया।
मनौती मांगी और बेटे का जीवन भी...
बाबा ने नाम का मान रखा और मोहित की सांस में जीवन का वरदान भर दिया। मोहित खुश है। स्वस्थ है और आज पिता के साथ उसके मुख पर जय-जय भोलेनाथ हैं। बंगाली टोला के देवेंद्र के घर किलकारी गूंजी तो आज सपरिवार बाबा के दरबार आए हैं। नाराणपुर से सपाही से 60 लोगों ने 21 फीट लंबा कांवर निकाला तो भक्ति का ज्वार साथ हो चला। यह सिलसिला रात भर चलता रहा...कभी हर-हर महादेव तो कभी बोलबम...।
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