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    समस्‍तीपुर नगर निगम: स्थायी कर्मियों की नियुक्ति पर संशय बरकरार, संचिकाओं की जांच के लिए टीम गठित

    By Dharmendra Kumar SinghEdited By:
    Updated: Sat, 11 Dec 2021 04:04 PM (IST)

    Samastipur News बिना सेवा पुस्त संधारण के ही कर्मियों को किया जा रहा लंबे समय से वेतन भुगतान नगर निगम में 104 स्थाई कर्मी कार्यरत हैं। ज‍िसमें 28 कर् ...और पढ़ें

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    समस्‍तीपुर नगर निगम के स्थायी सफाई कर्मियों की नियुक्ति पर संशय।

    समस्तीपुर, {अंकुर कुमार}। लंबे समय से सेवा पुस्त अद्यतन की मांग कर रहे नगर निगम के स्थायी सफाई कर्मियों की नियुक्ति पर संशय की तलवार बरकरार है। क्योंकि नगर परिषद (उत्क्रमित नगर निगम) में कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की सेवापुस्त नियुक्ति के समय से ही संधारित नहीं है। अधिकांश कर्मियों की सेवापुस्त पर किसी पदाधिकारी के हस्ताक्षर नहीं है। किस पत्रांक दिनांक से उनकी नियुक्ति हुई है वह भी वर्णित नहीं है। वर्ष 1983-84 से कार्यरत कर्मियों की नियुक्ति से संबंधित कोई ठोस अभिलेख भी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। इस कारण कर्मियों की पंचम एवं षष्ठम वेतन का सत्यापन नगर विकास एवं आवास विभाग से नहीं हो पाया है। विभागीय सत्यापन के बिना ही कर्मियों को वेतन का लाभ दिया जा रहा है।

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    स्थायी सफाई कर्मियों की मांग पर पिछले वर्ष नगर परिषद (वर्तमान नगर निगम) की ओर से सेवापुस्त संधारित करने के लिए नगर प्रबंधक राजेश कुमार के पर्यवेक्षण में एक टीम गठित की गई थी। लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया। नगर निगम में फिलहाल 104 स्थाई कर्मी कार्यरत हैं। इसमें 28 कर्मियों की सेवा पुस्तिका अबतक नहीं खुल पाई है। जबकि अन्य कर्मियों की सेवापुस्त अद्यतन नहीं है। इस कारण वेतन भुगतान में काफी संशय की स्थिति उत्पन्न हो रही है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पूर्व में नगर परिषद द्वारा 34 कर्मियों की नियुक्ति अवैध तरीके से की गई। इन्हीं में से कुछ लोग नियमित भुगतान के लिए दबाव बना रहे हैं। निगम प्रशासन द्वारा विभाग से कर्मियों की नियुक्ति से संबंधी मार्गदर्शन मांगा गया है।

    वृहद जांच के बाद ही सच आएगा सामने

    नगर निगम द्वारा सेवापुस्त संधारण के लिए बिना ही वेतन भुगतान किया जा रहा है। अब जबकि नगर परिषद उत्क्रमित होकर नगर निगम बन चुका है। जिलाधिकारी इसके नगर प्रशासक नियुक्त हो चुके हैं। नगर निगम स्थापना अंतर्गत नियुक्त कर्मियों की नियुक्ति से संबंधित वृहद जांच और अनियमितता के संबंध में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। नहीं तो कालांतर में नगर प्रशासन के समक्ष एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है।

    पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी ने जताई थी नियुक्ति पर आंशका

    नगर परिषद कर्मियों की नियुक्ति एवं सेवा इतिहास संदेहास्पद है। वर्ष 2016 में नगर निगम के तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव से इसकी शिकायत की थी। नगर परिषद कार्यालय के कर्मियों की स्थापना संबंधी संचिकाओं एवं कागजातों से पता चलता है कि कार्यालय में स्वीकृत बल, कर्मियों की शैक्षणिक योग्यता एवं आरक्षण कोटि की जानकारी अथवा आदेश पत्र, संकल्प पत्र उपलब्ध नहीं है और न ही सभी के सेवा पुस्त। उपलब्ध सेवा पुस्त भी आधे अधूरे हैं। पिछले 20 वर्षों से कोई अंकन नहीं किया गया है। पूर्व के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई, अनुशंसा अथवा सेवा सत्यापन नहीं की गई है। जो काफी संवदेनशील और संदिग्ध है।

    नगर आयुक्त को छह सूत्री मांगों का ज्ञापन

    नगर निगम कर्मचारी संघ के सचिव गणेश ठाकुर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने नगर आयुक्त को छह सूत्री मांगों का एक स्मार पत्र हस्तगत कराया है। इसमें सभी स्थाई कर्मियों की सेवापुस्त अद्यतन करने, सेवानिवृत कर्मियों को सेवांत लाभ एवं पेंशन का भुगतान करने, वर्ष 1994 से वेतन से काटी गई भविष्य निधि की राशि कर्मियों के खाते पर जमा करने, पिछले 9 माह के बकाया वेतन का भुगतान करने, कर्मियों को षष्ठम वेतनमान से वेतन भुगतान करने, ईपीएफ की राशि खाते में जमा करने, दैनिक कर्मियों की स्थाई नियुक्ति करने की मांग की है।

    संचिकाओं की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम गठित

    नगर परिषद उत्क्रमित नगर निगम के सेवानिवृत एवं कार्यरत कर्मियों का उपलब्ध सेवापुस्त और संचिकाओं की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम गठित की गई है। इसमें उप नगर आयुक्त हीरा कुमारी, पूर्व प्रधान सहायक अशोक कुमार गुप्ता, रोकड़पाल सह पूर्व प्रभारी स्थापना सहायक प्रेम शंकर कुमार, आदेशपाल सह पूर्व प्रभारी स्थापना सहायक संजीव कुमार सिन्हा शामिल हैं।

    कर्मियों के वेतन भुगतान पर हर माह 31 लाख का बजट

    नगर निगम में 104 स्थाई कर्मी कार्य कर रहे हैं। प्रत्येक कर्मियों को करीब 30 हजार 15 रुपये मासिक भुगतान किया जा रहा है। इसके लिए प्रत्येक माह 31 लाख 91 हजार 291 रुपये का बजट है। इसमें से 1 लाख 20 हजार 510 रुपये का भुगतान इन अवैध कर्मियों के बीच हो रहा है।