Bihar Politics: पूर्व मंत्री और विधायक के बेटा-बेटी का सियासी खेल, टिकट के लिए चल रही जोर-आजमाइश
सकरा में सियासी विरासत की जंग में पूर्व नेताओं के उत्तराधिकारी मैदान में हैं। युवा उम्मीदवार अपने परिवारों की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का दावा कर रहे हैं। उनके सामने चुनौती अपनी अलग पहचान बनाना और मतदाताओं को अपनी योग्यता साबित करना है। चुनावी माहौल में सरगर्मी है, और देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता विरासत को महत्व देते हैं या विकास को।

अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। जिले की सुरक्षित सीट सकरा सीट पर भी घमासान है। राजनीतिक विरासत को बचाने की जंग यहां पर पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री और दिवंगत नेताओं के उत्तराधिकारियों में होने की संभावना है। इनकी विधानसभा क्षेत्र में इनकी सक्रियता लगातार बनी हुई है और सभी अपने-अपने दलों से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
महागठबंधन, एनडीए और जनसुराज तीनों ही मोर्चों में सकरा सीट को लेकर हलचल तेज है। जदयू कोटे से मौजूदा विधायक अशोक चौधरी अपने पुत्र आदित्य कुमार को आगे कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि एनडीए गठबंधन से आदित्य को टिकट मिल जाता है, तो वे स्वयं मैदान में नहीं उतरेंगे।
इसके अलावा, पूर्व विधायक लालबाबू राम, सुरेश चंचल, कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक फकीरचंद राम के पुत्र उमेश कुमार राम, भाजपा नेता और पूर्व विधायक के दामाद अर्जुन राम भी सकरा से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
पूर्व विधायक बिलट पासवान के पुत्र संजय पासवान, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष शिवनंदन पासवान की नतनी रेणु पासवान और पूर्व मंत्री कमल पासवान के पुत्र रंजीत पासवान भी अलग-अलग दलों से तैयारी में हैं। पूर्व मंत्री शीतलराम के पुत्र आदित्य कुमार भी चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति बना रहे हैं।
क्षेत्र में चर्चा है कि इस बार सकरा की सियासत पूरी तरह विरासत की लड़ाई में तब्दील होगी। अब देखना होगा कि टिकट वितरण के बाद कौन किस दल से उम्मीदवार बनता है और कौन निर्दलीय मैदान में उतरता है। जनता की पसंद कौन पूर्व विधायक या उसके उत्तराधिकारी बनते हैं। इसके लिए इंतजार करना होगा।
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