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आरएसएस का खुला ऐलान, अखंड भारत में मिलाए जाएंगे पाकिस्तान के ये सभी शहर, दरभंगा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ने की घोषणा

आरएसएस के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संस्थापक इंद्रेश जी ने की श्यामा माई मंदिर में पूजा-अर्चना। स्वयं सेवकों से उन्होंने चीन से कैलाश मानसरोवर को भी मुक्त कराने का संकल्प लेने को कहा। बाबर सिकंदर और अकबर को लेकर भी संघ का पक्ष रखा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 29 May 2022 01:15 PM (IST)Updated: Sun, 29 May 2022 01:15 PM (IST)
आरएसएस का खुला ऐलान, अखंड भारत में मिलाए जाएंगे पाकिस्तान के ये सभी शहर, दरभंगा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ने की घोषणा
रहीम और रसखान जैसे पुरुष की खूब प्रशंसा की। File photo

दरभंगा, जासं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संस्थापक इंद्रेश ने कहा कि श्यामा माई से सुबह-शाम पूजा अर्चना के समय अखंड भारत के निर्माण, कैलाश मानसरोवर की चीन से मुक्ति, सिंध, लाहौर और कराची की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें। उन्होंने स्वयं सेवकों से तीन संकल्प लेने को कहा- हे मां आशीर्वाद दें- जन्म लिया खंडित भारत में- मृत्यु हो अखंड भारत में, कैलाश मानसरोवर चीन से- मुक्त हो मुक्त हो, सिंध, लाहौर और कराची मिलाकर बनेगा अखंड भारत। 

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शिविर आगामी 10 जून तक चलेगा

वे संघ शिक्षा वर्ग उत्तर बिहार के प्रथम वर्ष एवं उत्तर पूर्व क्षेत्र (बिहार एवं झारखंड) के द्वितीय वर्ष के 20 दिवसीय शिविर में मधुबनी के पंडौल प्रखंड के मधेपुरा गांव में शामिल होने आए थे। शिविर आगामी 10 जून तक चलेगा। इसी कड़ी में स्थानीय श्यामा माई मंदिर में पूजा करने के बाद स्वयं सेवकों के साथ बैठक में बोल रहे थे। कहा कि रहीम, रसखान जैसे पुरुष हमारे अंग रहे हैं। ऐसे लोगों से कोई भेदभाव नहीं, किंतु बाबर, सिकंदर, अकबर जैसे विदेशी हमलावर किसी भी दृष्टि से हमारे देश के महान पुरुष नहीं कहला सकते।  

स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कहा गया

हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है जबकि आरएसएस की ओर से सार्वजनिक तौर पर अखंड भारत की बात की गई हो। कई मंचों से समय-समय पर अखंड भारत की बात की जाती रही है। इसमें न केवल पाकिस्तान के कुछ प्रमुख शहरों की बात की जाती है वरन वर्ममान के अफगानिस्तान की बात भी की जाती है। विभाजन के समय पूर्वी बंगाल और वर्तमान में ाबांग्लादेश के बारे में भी उसमें बात की जाती है। हालांकि इसका स्वरूप क्या होगा? यह संभव कैसे होगा? इन तमाम मुद्​दों को लेकर तरह-तरह के दावे किए जाते हैं, लेकिन स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है।


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