आरएसएस के विजयदशमी उत्सव का बदला पैटर्न, शताब्दी वर्ष पर लक्ष्य में भी किया गया बदलाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने शताब्दी वर्ष को यादगार बनाने के लिए बस्ती स्तर तक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। महानगर के 104 बस्तियों में 10 अक्टूबर तक विभिन्न आयोजन होंगे जिनमें पंच परिवर्तन विषय पर बौद्धिक कार्यक्रम शामिल हैं। स्वयंसेवक घर-घर जाकर समाज में सद्भाव और युवा पीढ़ी की भागीदारी बढ़ाएंगे। वर्ष भर हिंदू सम्मेलन और युवा कार्यक्रम जैसे आयोजन होंगे।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इस साल शताब्दी वर्ष का उत्सव मना रहा है। इसे यादगार बनाने के लिए पूरे वर्ष लगातार कार्यक्रम होंगे।
इस बार विजयदशमी पर महानगर स्तर का आयोजन नहीं होगा, बल्कि इसे बस्ती स्तर तक विस्तारित किया गया है। महानगर के 11 संगठनात्मक जिलों की 104 बस्तियों में 10 अक्टूबर तक एकत्रीकरण, पथसंचलन, शस्त्र पूजन व बौद्धिक कार्यक्रम होंगे।
महानगर प्रचार प्रमुख अजय कुमार ने बताया इस बार बौद्धिक कार्यक्रम की थीम पंच परिवर्तन रखी गई है। इसके तहत व्यक्तिगत परिवर्तन, पारिवारिक परिवर्तन, सामाजिक परिवर्तन, पर्यावरणीय परिवर्तन व राष्ट्रीय परिवर्तन विषय पर संबोधन होगा। शताब्दी वर्ष का लक्ष्य केवल शाखाओं का विस्तार नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग को जोड़ना भी है।
एक साल तक हर घर जाएंगे स्वयंसेवक
विजयदशमी 2025 से विजयदशमी 2026 तक शताब्दी वर्ष के रूप में विशेष आयोजन होंगे। इस दौरान आरएसएस स्वयंसेवक विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में सद्भाव, संगठनात्मक मजबूती व युवा पीढ़ी की भागीदारी बढ़ाने का अभियान चलाएंगे।
विजयदशमी उत्सव 10 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद सामाजिक सद्भाव बैठक पांच से 16 नवंबर तक होंगी। इसी कड़ी में गृह संपर्क अभियान 20 नवंबर से 21 दिसंबर तक चलेगा।
नए वर्ष 2026 की शुरुआत हिंदू सम्मेलन से होगी, जो एक से 31 जनवरी तक होगा। 23 से 28 फरवरी तक प्रमुख जन गोष्ठी होंगी। युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक से 10 सितंबर 2026 तक युवा कार्यक्रम होंगे।
शताब्दी वर्ष समाज को संगठित करने व सांस्कृतिक मूल्यों के प्रसार का ऐतिहासिक अवसर है। महानगर स्तर पर इसके आयोजन का शुभारंभ 27 सितंबर से हो चुका है और यह लगातार चलेगा।
1925 में हुई थी संघ की स्थापना
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर, 1925 विजयदशमी के दिन डा.केशव राव बलीराम हेडगेवार ने की थी। आरएसएस का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और उसके मूल्यों को संरक्षित करना है।
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