आरएसएस भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए कर रहा विशेष काम, संपर्क प्रमुख ने सबकुछ बताया
अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल ने दरभंगा में कहा- भारत विश्व का ऐसा देश जहां मां के रूप होती है धरती की पूजा। पूर्व के वर्षों में विदेशियों ने भारत को टुकड़ों में बांट दिया लेकिन अब सतर्क रहते हुए आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

दरभंगा, जासं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल जी ने कहा है कि विदेशियों ने इस राष्ट्र को तोड़ने के लिए भारत के जन-जन को खंड-खंड में बांटा। आज आवश्यकता है कि विदेशियों के द्वारा दिए गए भाव का त्याग कर राष्ट्र गौरव को बढ़ाने वाले भाव का मन में अंकुरण हो। यह राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में सभी को स्वीकार करना होगा। धर्म भारत का प्राण तत्व है। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि दुनिया का यह पहला और अंतिम देश है जहां सब को धारण करनेवाली धरती को मां के रूप में स्वीकार किया गया। कौन देश है विश्व का जहां मां के रूप में धरती की पूजा की जाती है। कोई दर्शन नहीं कोई प्रबंध नहीं कोई शासन व्यवस्था नहीं। संपूर्ण विश्व में अकेला भारत ही ऐसा सौभाग्यशाली देश है, जहां भारत माता के रूप में अपने राष्ट्र को स्वीकार किया गया है।वे रविवार को शहर के महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय के सभागार में राष्ट्रहित में संघ की भूमिका विषय पर आयोजित व्याख्यान माला में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
कलाम के जीवन से सीखने की आवश्यकता
कहा- अंग्रेजों ने देश को लूटा, बांटा और हमारे अंदर हीन भावना वाले विषयों को समाहित किया। भारतीय गौरव पुरुषों को लुटेरा सामर्थ्य हीन एवं कम बुद्धि का कह कर हमें दिग्भ्रमित किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने स्थापना काल से इसी कार्य में लगा हुआ है कि हमें अपने गौरव स्थान, मान बिंदुओं का सम्मान, महापुरुषों का सम्मान, ऋषि परंपरा का ज्ञान एवं धर्म ग्रंथों के प्रति अध्ययन व मन में चिंता संस्कारों की हो। देश की छवि देश का गौरव देश का पुरुषार्थ जिन घटनाओं से ऊंचाई को प्राप्त हो। राष्ट्र जिससे मजबूत हो। विश्व मंच पर वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र का पूरी दुनिया जाप करें ऐसा भारत संघ बनाना चाहता है। संघ देश के लिए अच्छा सोचना अच्छा बोलना और फिर अच्छा करना सिखाता है। भारत विज्ञान के क्षेत्र में कहीं किसी से भी कमजोर नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम महान वैज्ञानिक हुए। इस्लाम धर्म को मानने वाले थे। उन्होंने क्यों देश के रक्षा के लिए तैनात किए जाने वाले सारे अस्त्र-शस्त्र और प्रक्षेपास्त्रों के नाम वेदों से लिए। किसी का नाम तो किसी का ब्रह्मभोज किसी का पृथ्वी तो किसी का अग्नि रखा यह सोचने का विषय है। यहीं से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का स्वयंसेवक भाव प्रकट होता है। हमें कलाम के जीवन से सीखने की आवश्यकता है। तभी तो इंडोनेशिया ने कहा कि हमने अपनी पूजा पद्धति बदली है। पूर्वज नहीं बदलने।
समर्पण ही राष्ट्रहित के लिए हमारे लिए सर्वोपरि
इससे पहले ‘राष्ट्रहित में संघ की भूमिका’ विषय पर व्याख्यानमाला का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल जी, उत्तर पूर्व क्षेत्र संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर जी, प्रांत संपर्क प्रमुख रविंद्र पाठक जी, मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति सुरेंद्र प्रसाद सिंह, एमएलएसएम की प्राचार्य मंजू चतुर्वेदी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर संघ चालक दिनेश जी शाह, जिला संघ चालक ताराकांत झा जी ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इसके बाद अतिथियों का सम्मान विभाग संपर्क प्रमुख दरभंगा सनोज नायक, तरुण जी, आकाश जी अनिल सिंह जी, नगर संघचालक दिनेश जी आदि ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ जय जय भैरवी असुर भयावन गीत से हुआ। अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति एसपी सिंह ने कहा- राष्ट्र के प्रति समर्पण ही हमारे संस्कार का द्योतक है। बिना शर्त बिना किसी आकांक्षा के पूर्ण समर्पण ही राष्ट्रहित के लिए हमारे लिए सर्वोपरि है।
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