Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुजफ्फरपुर के नेताओं का छलका दर्द, साहब खुद तो जा रहे, अब हमलोगों क्या होगा, पता नहीं ?

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Mon, 15 Mar 2021 06:15 AM (IST)

    Muzaffarpur Politics यदि सबकुछ अपेक्षा के अनुसार हुआ तो रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में शामिल हो जाएंगे। उनकी पार्टी का विलय भी हो जाएगा। इस पार्टी से जुड़े जिले के नेताओं के मन में अपने भविष्य को लेकर चिंता है।

    Hero Image
    विगत विधानसभा चुनाव तक एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा गले मिलते नजर आएंगे।

    मुजफ्फरपुर, ऑनलाइन डेस्क। राजनीति के बारे में चर्चित कहावत है, यहां कोई स्थाई दुश्मन या दोस्त नहीं होता। यदि सबकुछ अपेक्षा के अनुसार ही हुआ तो संभव है कि अभी से कुछ घंटों के बाद यह कहावत बिहार की राजनीति में चरितार्थ होता हुआ दिखे। यहां बात रालोसपा और जदयू के विलय की हो रही। हालांकि कुछ लोग इसे अब केवल उपेंद्र कुशवाहा की जदयू में वापसी कह रहे। बात कोई भी हो लेकिन, विगत विधानसभा चुनाव तक एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा गले मिलते नजर आएंगे। इस मिलन ने मुजफ्फरपुर जिले के कुछ नेताओं की दुनिया हिलाकर रख दी है। उन्हें अब समझ नहीं आ रहा कि वे क्या करें?

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का परिणाम आने के कुछ दिनों के बाद से ही यह चर्चा शुरू हो गई कि रालोसपा प्रमुख जदयू का दामन थामने जा रहे हैं। जब यह जानकारी सतह पर आने लगी तो मुजफ्फरपुर के रालोसपा नेताओं की हालत पतली होने लगी। उनके मन में आशंका है कि साहब के जदयू में जाने या कहें रालोसपा के विलय के बाद उनका क्या होगा? उपेंद्र कुशवाहा को तो जदयू की ओर से कोई सम्मानित पद संगठन या सरकार में दे दिया जाएगा। लेकिन, विभिन्न जिलों में रालोसपा के सांगठनिक पदों पर विराजमान इन नेताओं का जदयू में किस स्तर पर सामंजन होगा। वैसे भी अभी तक दोनों दल एक खास सामाजिक समूह की राजनीति ही करते आए हैं। जिला स्तर पर इन नेताओं को समायोजित करने के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं होेने के कारण मुजफ्फरपुर के इन नेताओं की चिंता बरकरार है। उनका दर्द यह भी है कि जिस संगठन को खड़ा करने के लिए इतने वर्ष तक मेहनत की, वह अब बेकार हो गया। उन्हें नई व्यवस्था में अपने लिए स्थान बनाने हेतु फिर शून्य से आरंभ करना होगा। वैसे जब इस बारे में पार्टी जिलाध्यक्ष से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमलोग राष्ट्रीय अध्यक्ष के हर फैसले के साथ हैं। अन्य जिलों के प्रभारी या पार्टी के अधिकारी के राजद में शामिल होने के बारे में उन्होंने कहा कि हमलोग हमेशा से राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ रहे हैं, आगे भी ऐसा ही करेंगे।