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    अधिकार डीएम को, सीओ ने ही बदल दी जमीन की किस्म

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 22 Nov 2018 09:02 AM (IST)

    कांटी थर्मल की पाइप लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण का मामला। डीसीएलआर ने पकड़ी गड़बड़ी, सीओ सीधे नहीं बदल पाएंगे किस्म।

    अधिकार डीएम को, सीओ ने ही बदल दी जमीन की किस्म

    मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कांटी के अंचलाधिकारी दिलीप कुमार ने करीब सात एकड़ जमीन की किस्म को परिवर्तित कर दिया। अंचल के धमौली रामनाथ मौजे की इस जमीन की किस्म खतियान में भीठ व धनहर थी। इसे उन्होंने अपने स्तर से ही आवासीय कर दिया। जबकि किसी भी हालत में खतियान में दर्ज जमीन की किस्म में परिवर्तन का अधिकार समाहर्ता के नेतृत्व वाली कमेटी को होता है। परिवर्तित किस्म के आधार पर ही सात एकड़ से अधिक लोगों को मुआवजा का भुगतान भी किया गया। यह भुगतान कांटी बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड के मेक अप वाटर कॉरिडोर के लिए अधिग्रहित की गई जमीन के लिए किया गया।

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     डीसीएलआर पश्चिमी अलबेला के संज्ञान में मामला आने के बाद सीओ को सीधे किस्म परिवर्तन करने से रोक दिया गया है। अब कांटी के सीओ सिर्फ किस्म परिवर्तन का प्रस्ताव ही भेज सकेंगे। मालूम हो कि कांटी थर्मल द्वारा पानी के इस्तेमाल के कारण इस क्षेत्र में गर्मी के दिनों में वाटर लेवल काफी नीचे चला जाता था। इसे देखते हुए गंडक से पाइप लाइन के द्वारा थर्मल में पानी की आपूर्ति की योजना बनी। इसके लिए ही जमीन सतत लीज पर ली गई।

    करोड़ों की राशि का अंतर

    योजना के लिए 79 भू-धारियों की 7.41 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया। खतियान में अधिकांश जमीन की किस्म भीठ थी। एमवीआर (न्यूनतम मूल्य रजिस्टर) में इस किस्म की जमीन की दर 32 हजार रुपये प्रति डिसमिल है। जबकि आवासीय की दर एक लाख 45 हजार रुपये प्रति डिसमिल। भीठ के आधार पर जमीन की मुआवजा राशि लगभग साढ़े नौ करोड़ होती। कांटी बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड व भू-धारियों के बीच सहमति के बाद जमीन को आवासीय किस्म के आधार पर सतत लीज पर लिया गया। इस कारण मुआवजा राशि लगभग 43 करोड़ रुपये हो गया। यानी, करीब 34 करोड़ रुपये का अंतर आया।

    आगे आ सकती परेशानी

    एक बार जमीन की किस्म में परिवर्तन के बाद अब आगे यहां भीठ या धनहर में अधिग्रहण करना मुश्किल होगा। वहीं जमीन का आवासीय दर से निबंधन किए जाने पर विरोध हो सकता है।

    इस बारे में अपर समाहर्ता डॉ. रंगनाथ चौधरी का कहना है कि 'सतत लीज के लिए भू-धारियों व केबीयूएनएल में सहमति बनी थी। इस आधार पर जमीन का सतत लीज आवासीय किया गया। हालांकि, किस्म परिवर्तन के लिए सीओ को प्रस्ताव भेजना था। सीधे किस्म में परिवर्तन नहीं करना चाहिए था।'

    डीसीएलआर पश्चिमी के अलबेला कहते है कि 'पूर्व में जमीन की किस्म में परिवर्तन कांटी सीओ ने सीधे अपने स्तर से कर दी। मगर, इसमें परिवर्तन किया गया है।'

     

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