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    लीची के शौकीनों के लिए अच्छी खबर, इससे तैयार रसगुल्ले खाकर वाह-वाह कहे बिना नहीं रह पाएंगे

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 06:46 PM (IST)

    Muzaffarpur News कंपनीबाग में आकांक्षा हाट मेला चल रहा है जहां लीची के रसगुल्ले सबका मन मोह रहे हैं। जीविका दीदियों के स्टाल पर बैग नाइटी और पर्स जैसे उत्पाद उपलब्ध हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है। सुजनी और मधुबनी कला के प्रदर्शन से पारंपरिक कला को बढ़ावा मिल रहा है।

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    आकांक्षा हाट के स्टालों पर सजे उत्पाद लोगों को भा रहे। जागरण

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Muzaffarpur News: शहर के कंपनीबाग स्थित शहीद खुदीराम बोस स्टेडियम में आकांक्षा हाट मेला का आयोजन जारी है। सोमवार शुरुआत हुए इस मेले का दो अगस्त को समापन होगा। मेला में विभिन्न विभागों की ओर से 15 स्टाल लगाए गए हैं।

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    मंगलवार को लीची से बने रसगुल्लों ने आगंतुकों का मन मोहा। सभी ने इसका स्वाद चखा। इसे कुढ़नी एग्रो प्रोड्यूसर क्लस्टर द्वारा तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा लीची के जूस, टोमैटो सास और कई उत्पादों की बिक्री हो रही है। इसके अलावा सुगंधित कस्टमाइज कैंडल, आचार, नमकीन और जीविका दीदी की रसोई का स्टाल भी लगाया गया है।

    मेला में करीब छह स्टाल जीविका दीदियों की ओर से लगाए गए हैं। इसमें सबसे प्रमुख है चतुर्भुज स्थान इलाके से आई जीविका दीदियों द्वारा लगाया गया स्टाल। उन्होंने बैग, नाइटी, पर्स जैसे उत्पादों का स्टाल लगाया है। दीदियों ने बताया कि जीविका समूह से जुड़कर वे लोग आर्थिक रूप से सबल बन रही हैं और अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की कोशिश कर रही है।

    स्टाल पर मौजूद शमीमा खातून और रसुलन खातून ने बताया कि जीविका से जुड़ने के बाद कमाई का एक जरिया मिला है। पहले तो लोग हमारी पहचान सुनते ही मुंह फेर लेते हैं, लेकिन जीविका से जुड़ने के बाद सामाजिक रूप से सशक्त होने का अवसर मिला है। उन्होंने बताया कि वह घर बैठे-बैठे अब महीने के करीब 12 से 15 हजार रुपये की कमाई कर लेती हैं।

    कला का दिखा अनूठा संगम

    मेला में पर्स, क्लच बैग और कई कपड़ों पर सुजनी कला और मधुबनी पेंटिंग की कलाकृति भी देखने को मिली। इससे पारंपरिक कला के साथ ही, कलाकारों को भी बढ़ावा मिल रहा है। सुजनी कला की कलाकार गुड़िया देवी ने बताया कि उनके पास इस कला से तैयार किए गए पांच से सात हजार तक के प्रोडक्ट है। कपड़ों पर वह कला के जरिए कहानी गढ़ने की कोशिश करती है। इसके जरिए करीब 200 से 300 लोगों को रोजगार मिला है। बाजार में भी इसकी अच्छी मांग है।

    नहीं पहुंच रहे अधिक लोग

    आकांक्षा हाट मेला का व्यापक प्रचार प्रसार नहीं किया गया। इस कारण मेला में भीड़ नहीं उमड़ रही है। इससे स्टाल कर्मियों में निराशा का भाव है। इसके अलावा स्टाल लगाने वाले उद्यमियों को बारिश के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा। कई स्टाल कर्मियों ने बताया कि बारिश के मौसम के मुताबिक स्टाल की बेहतर व्यवस्था नहीं है। बारिश होने पर प्रदर्शनी के लिए रखे सामान को अंदर रखना पड़ रहा। ग्राहक के खड़े रहने के लिए भी जगह नहीं है।