Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Cancer Day 2021: आत्मबल की बदौलत कैंसर से जंग लड़ रहे पूर्व विधायक रामदेव वर्मा

    By Murari KumarEdited By:
    Updated: Thu, 04 Feb 2021 06:47 AM (IST)

    Cancer Day 2021 विभूतिपुर विधानसभा से 6 बार विधायक रह चुके रामदेव वर्मा आत्मबल की बदौलत कैंसर से जंग लड़ रहे हैं। कोरोना काल और कैंसर उपचार के क्रम में लिख डाली किताब। पतैलिया में रहकर सामाजिक मुद्दों पर भी क्षेत्र के लोगों को कर रहे जागरूक।

    Hero Image
    पूर्व विधायक राम देव वर्मा अपनी पत्नी पूर्व विधायक मंजू प्रकाश के साथ

    विभूतिपुर (समस्तीपुर) [विनय भूषण]। उम्र करीब 80 वर्ष। खुद कैंसर पीडि़त। लेकिन परिस्थितियों का सामना बड़ी मुस्तैदी से। दूसरों को जीवन में जंग जीतने की हिम्मत दे रहे। ये हैं पतैलिया निवासी रामदेव वर्मा। विभूतिपुर विधानसभा से 6 बार विधायक रह चुके। पहली बार 1980 में विधायक निर्वाचित हुए। हिम्मत और हौंसलों की मिसाल बन चुके हैं। वे बताते हैं कि वर्ष 2019 के पूर्व पेशाब की थैली में दिक्कत महसूस हुई। नियमित दवा खाते रहे। धीरे-धीरे खून आने लगा। बीमारी और बढ़ता चला गया। 23 मार्च 2019 को एम्स में भर्ती हुए। पेशाब के रास्ते खून आना बंद नहीं हो रहा था। 25 मार्च को गंगाराम हॉस्पिटल में भर्ती हुए। 29 मार्च को ऑपरेशन हुआ। कैंसर प्रमाणित हुई थी तो थैली में कीमोथेरेपी दी जाने लगी। चिकित्सक, कंपाउंडर और स्वजनों में घबराहट थी। सारी बातें उनसे छिपाकर रखी गई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     पत्नी पूर्व विधायक मंजू प्रकाश और पुत्र रोहित कुमार भी किसी रिश्तेदारों को सूचना देने से परहेज करते रहे। शायद, इसलिए कि मामला प्रकाश में आने पर वर्मा जी की परेशानी ना बढ़ जाए। दो सप्ताह उसी अस्पताल में भर्ती रहे। इसके बाद पटना आने-जाने लगे। कीमोथेरेपी का प्रयोग होता रहा और जांच भी होती रही। अप्रैल 2019 में चिकित्सकों ने अब 6 माह पर जांच होने की बातें कहकर दवाई बंद कर दी। वे बताते हैं कि जब सब नॉर्मल हो गया तब 30 मई 2020 को सांस लेने में तकलीफ हुई। चिकित्सकों ने फेफड़ा में पानी, घाव और कैंसर की पुष्टि की। दुबारे कीमोथेरेपी से इलाज होने लगा। समय-समय पर डॉक्टरी परामर्श भी। स्वजनों को खुद भरोसा देते रहे। पतैलिया लौटे तो रिकवरी काफी तेजी से हुई। चिकित्सकों की जांच रिपोर्ट में दूबारे हुए फेफड़ा के कैंसर को मात देने की पुष्टि अभी बांकी है। चूंकि, फस्र्ट फेज में हीं कैंसर पकड़ में आ गई। इसलिए जंग जीत लेने के आसार अधिक दिख रहे।

    आज भी उनके आवास पर होता है जमावड़ा

    पतैलिया गांव में हर रोज आज भी सुबह-शाम इनके निवास स्थल पर दर्जनों लोग इक_ा होते हैं। राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष मंजू प्रकाश कहती हैं कि उनके पति कैंसर पीडि़त होने के बाबजूद गरीब-गुरबों की हक की लड़ाई आज भी मजबूती से लड़ रहे। दूसरों को कैंसर के दौरान गुजरे लम्हों और डॉक्टरी सलाह के बाद स्थिति में सुधार की चर्चा कर रहे। ताकि, कोई दूसरा व्यक्ति देर किए बिना जांच और इलाज करवा सकें। कैंसर के खिलाफ जंग लड़ व जीत सकें। इन सामाजिक कार्यों में वह अपने पति की मदद कर रही। 

    कैंसर पीडि़त होने के दौरान लिख डाली किताब 

     पूर्व विधायक रामदेव वर्मा कोरोना काल में वे जब वे कैंसर रोग से पीडि़त थे। इलाज के क्रम में ÓÓइंकलाब ङ्क्षजदाबादÓÓ नामक पुस्तक लिख डाली। इस अवस्था में भी पढऩे का सिलसिला जारी है। पतैलिया निवासी डॉ. परमानंद, आलमपुर के अजय कुमार, पटपारा के भोला चौधरी, प्रभु नारायण झा, भूसवर के पूर्व मुखिया शिवदानी ङ्क्षसह, नरहन के शंभु राय, बोरिया के डॉ. राम बदन महतो आदि इनके अदम्य साहस के कायल हैं। ये कहते हैं कि मानव जीवन की झंझावतों को झेलते हुए ऐसी गाथा लिखना किसी साधारण पुरूष का काम नहीं हो सकता है।