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    रक्षाबंधन 2025 आठ को है या नौ अगस्त को, पंडितजी ने तिथि और मुहूर्त से जुड़े सारे भ्रम किए दूर

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 02:18 PM (IST)

    Rakshabandhan 2025 भाई-बहन के प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन करीब आ गया है। बहनें इसकी तैयारी में जुट गई हैं। राखियों का चयन शुरू कर दिया गया है। जहां तक मुहूर्त की बात है तो पंडितजी का कहना है कि इस बार भद्रा का साया नहीं है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि बहनें पूरे दिन राखी बांध सकती हैं। यह रक्षा के वचन का भी त्योहार है।

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    इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Rakshabandhan 2025 : भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन में अब बहुत दिन शेष नहीं है। सावन पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर इर बार भी भ्रम की स्थिति है। यह आठ को है या नौ अगस्त को। हालांकि पंडितजी ने सबकुछ स्पष्ट कर दिया।

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    देवी मंदिर के पंडित धर्मेंद्र तिवारी के मुताबिक इस बार रक्षाबंधन नौ अगस्त को ही मनाया जाएगा। हालांकि पूर्णिमा की शुरुआत आठ अगस्त को दोपहर 1:42 बजे से होगी, लेकिन उदया तिथि के कारण नौ अगस्त को बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधेंगी।

    जहां तक शुभ मुहूर्त का सवाल है तो उन्होंने कहा कि यह सुबह पांच बजे से शुरू है। नौ अगस्त को दिनभर राखी बांधने का मुहूर्त रहेगा। कई बहनें भाई की राशि के मुताबिक भी राखी का रंग चुनती हैं। हालांकि पंडितजी ने बताया कि इस दिन कच्चा सूत्र ही बांधना सबसे बेहतर है।रक्षाबंधन पर राखी बांधन से पूर्व पूजा करने की परंपरा है।

    पूजा की थाली में निम्नलिखित वस्तुएं होनी चाहिए:

    • राखी: सबसे महत्वपूर्ण वस्तु है, जो भाई की कलाई पर बांधी जाती है।
    • अक्षत: चावल या अक्षत को समृद्धि और सुख का प्रतीक माना जाता है।
    • तिलक या रोली: तिलक या रोली का उपयोग भाई को तिलक लगाने के लिए किया जाता है।
    • दीपक या दीया: दीपक या दीया पूजा की थाली में रखा जाता है, जो प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है।
    • अगरबत्ती: अगरबत्ती पूजा की थाली में रखी जा सकती है, जो सुगंधित धुएं के माध्यम से वातावरण को पवित्र करती है।
    • फूल: फूल पूजा की थाली में रखे जा सकते हैं, जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक हैं।
    • मिठाई: किसी भी शुभ अवसर पर इसे तो रखा ही जाता है।

    इन वस्तुओं के साथ पूजा करने के बाद बहनें अपने भाई की आरती करती हैं। इसके बाद कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस अवसर पर भाई की ओर से बहन को रक्षा का वचन देने के साथ ही कुछ उपहार देने की भी परंपरा रही है।