Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    वास्तुकला का अद्भुत नमूना है राजनगर का राज परिसर, मंदिरों और राजमहल की कलाकृतियां करती हैं चकित

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Sat, 12 Mar 2022 03:44 PM (IST)

    उत्‍तर बिहार के मधुबनी जिले में स्थित राजनगर का राज परिसर शानदार वास्‍तुकला का अद्भुत नमूना है। यहां के मंदिरों और राजमहल की नक्‍काशी लोगों को मंत्रमुग्‍ध कर देती है। यहां के मंदिर दरभंगा राज परिवार के बनाए हुए हैं।

    Hero Image
    मधुबनी जिले के राजनगर राज परिसर स्थित नौलखा दुर्गा मंदिर। जागरण आर्काइव

    कपिलेश्वर साह, मधुबनी। राजनगर के राज परिसर की चर्चा चलते ही ऐतिहासिक मंदिरों व राजमहल सहित अन्य भवनों की कलाकृतियों के एक से एक नमूने जेहन में उभरने लगते हैं। इस परिसर में प्राचीन मिथिला की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना देखने को मिलता है। इसके निर्माण में वास्तुकला की बंगाल शैली की झलक दिखलाई पड़ती है। पाश्चात्य निर्माण शैली का प्रभाव भी दिखता है। अगर इसका विकास किया जाए तो यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फोटो परिचय : राजनगर के राज परिसर का भ्रमण करते हुए नौत्तम स्वामी व राजनगर धार्मिक न्यास पर्षद के ट्रस्टी कपिलेश्वर सिंह व अन्य (फाइल फोटो)

    दरभंगा राज के कालखंड में बनाए गए भव्‍य मंदिर

    राजनगर में दरभंगाराज के कालखंड में महाराजाधिराज रामेश्वर सिंह द्वारा निर्माण कराए गए देवी-देवताओं के मंदिरों व भवनों की नक्काशी देखते ही बनती है। राज परिसर में बने नौलखा महल, काली मंदिर, दुर्गा मंदिर, कामाख्या मंदिर, गिरजा मंदिर, रामेश्वरनाथ मंदिर, हाथी महल, रानी महल, मोती महल सहित अन्य भवन और वहां की गई नक्काशी मनमोहक है। दरभंगा राज का सचिवालय भी वास्तुकला का नमूना है। इसमें वर्तमान में विशेश्वर सिंह जनता कालेज का संचालन हो रहा है।

    फोटो परिचय : राजनगर राज परिसर स्थित राजमहल

    राजनगर के अधिकतर मंदिर दक्षिणमुखी

    मधुबनी जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर राजनगर राज परिसर दरभंगा राजघराने की अतीत एवं उस समय की संस्कृति से भी रू-ब-रू कराता है। यहां के अधिसंख्य मंदिर दक्षिणमुखी हैं। ऐतिहासिक इमारतों की हालत खराब होती जा रही है। इस परिसर को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की मांग उठाई जाती रही है। खंडहर बन रहे राज परिसर के बचे अवशेष, उत्कृष्ट धरोहर के संरक्षण तथा इसके विकास की आवश्यकता है। वर्ष 1934 में आए भूकंप से इस परिसर की इमारतों को काफी नुकसान पहुंचा था। इन धरोहरों को विश्व धरोहरों की सूची में शामिल कराने का प्रयास करना चाहिए। इसके संरक्षण पर काम होना चाहिए।

    फोटो परिचय : राजनगर राज परिसर का प्रवेश द्वार

    2013 में पर्यटक स्थल का दर्जा दिलाने की हुई थी पहल

    वर्ष 2013 में राज परिसर को पर्यटक स्थल की मान्यता दिलाने के लिए कवायद शुरू की गई थी। जल संसाधन मंत्री संजय झा ने राज परिसर का दौरा कर पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव से राज परिसर के निरीक्षण के लिए विभागीय टीम को भेजने का सुझाव दिया था। इसके बाद पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव ने दो सदस्यीय टीम को राज परिसर भेजकर स्थल का निरीक्षण कराया था। टीम में वास्तुविद आशीष कुमार व कनीय अभियंता देवेंद्र मिश्रा शामिल थे। टीम ने राज परिसर के मंदिरों, भवनों तथा प्रतिमाओं का मुआयना, सर्वे तथा फोटोग्राफी भी की थी। राज परिसर की इमारतों की दीवारों पर उकेरी गई कला का बारीकी से अध्ययन किया था।

    फोटो परिचय : राजनगर राज परिसर स्थित काली मंदिर

    दुर्लभ प्रतिमाओं को संग्रहालय को सौंपने को दिया था पत्र

    हाल ही में गुजरात के वडताल स्थित स्वामीनारायण मंदिर के नौत्तम स्वामी के साथ राजनगर धार्मिक न्यास पर्षद के ट्रस्टी कपिलेश्वर सिंह राज परिसर पहुंचे थे। उन्होंने राजमहल सहित अन्य धरोहरों की स्थिति देखकर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने यहां के मंदिरों में देवी-देवताओं के दर्शन करते हुए परिसर के विकास की मंशा जाहिर की थी, जबकि नवंबर, 2021 में महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय, दरभंगा के सहायक संग्रहालयाध्यक्ष शिव कुमार मिश्र ने बताया कि राजनगर राज परिसर के विभिन्न मंदिरों की दुर्लभ मूर्तियों की सुरक्षा के लिए मधुबनी जिलाधिकारी को एक पत्र दिया गया है। इस संदर्भ में एक पत्र राजनगर धार्मिक न्यास पर्षद के ट्रस्टी कपिलेश्वर सिंह को भी भेजा गया था। पत्र में राज परिसर की बेशकीमती दुर्लभ प्रतिमाओं को सुरक्षा के लिहाज से महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय दरभंगा को सौंपने की मांग की गई थी।