Railway Fake Bharti: रेलवे फर्जी भर्ती मामले में हुए खुलासे से उड़े पुलिस के होश, मुजफ्फरपुर के खाते से होता था लेन-देन
पटना छपरा मोतिहारी कोलकाता के बाद अब रेलवे फर्जी भर्ती के तार मुजफ्फरपुर से भी जुड़ गए हैं। मुजफ्फरपुर स्थित आइसीआइसीआइ बैंक की कोर्ट ब्रांच शाखा से फर्जी भर्ती को सही दिखाने के लिए मुजफ्फरपुर के एक खाते से वेतन भेजा जाता था। इसकी जानकारी मिलने के बाद बैंक ने खाता फ्रीज कर दिया है। इसके साथ ही आरोपित की तलाश की जा रही है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। रेलवे में फर्जी भर्ती का तार सोनपुर रेलमंडल के साथ पटना, छपरा, मोतिहारी, कोलकाता के बाद अब मुजफ्फरपुर से भी जुड़ गया। जांच में फर्जी भर्ती से जुड़ी चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं।
भर्ती के नाम पर युवकों से पांच से छह लाख रुपये लेने के बाद ट्रेनिंग कराने के दौरान वेतन के नाम पर एक से दो माह तक 15 से 20 हजार रुपये दिए जाते थे, ताकि यह लगे कि नौकरी पक्की है।
ट्रेजरी ऑफिस आरओ नाम की कंपनी का खाता
- वेतन के रूप में यह पैसा मुजफ्फरपुर स्थित आइसीआइसीआइ बैंक की कोर्ट ब्रांच शाखा से भेजा जाता था। जालसाजों ने यहां 'ट्रेजरी ऑफिस आरओ' नाम की एक कंपनी बनाकर खाता खोल रखा था।
- वह खाता राजेंद्र तिवारी के नाम से है। जांच के लिए सोनपुर जीआरपी थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार, रेलवे के क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर चंदन कुमार बैंक पहुंचे तो बैंक मैनेजर को चौंकाने वाली जानकारी मिली।
सिक्योरिटी गार्ड की मदद से खुला खाता
राजेंद्र तिवारी दरअसल छपरा का रहने वाला है। फर्जी भर्ती के रैकेट में शामिल होने के बाद उसने ट्रेजरी ऑफिस आरओ नाम की एक कंपनी बनाई। जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करा लिया।
उसके साले का बेटा संजय कुमार आइसीआइसीआइ बैंक में सिक्योरिटी गार्ड का काम करता है। उसने पैरवी कर करंट खाता खुलवा दिया।
एक साल में हुआ पांच करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन
जांच में पता चला कि इस खाते से साल में करीब पांच करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है। उसके बाद पुलिस और बैंक प्रबंधक के होश उड़ गए। पुलिस के लिखित आवेदन पर उसका खाता फ्रीज कर दिया गया है। बैंक के प्रबंधक रजत कुमार ने इसकी पुष्टि की है।
बैंक ने फ्रीज किया खाता
बैंक के प्रबंधक ने कहा कि पुलिस की जांच तक उक्त खाते से किसी प्रकार का लेन-देन नहीं होगा। वहीं जांच से अनभिज्ञ राजेंद्र तिवारी गुरुवार को खाते से एक लाख रुपये निकालने पहुंचा।
बताया गया कि खाता फ्रीज है। यह जानकारी मिलते ही वह वहां से भाग निकला। इसके बाद पुलिस ने राजेंद्र को पकड़ने के लिए मिठनपुरा स्थित बनारस बैंक चौक के समीप किराये के मकान में छापेमारी की, वह वहां नहीं मिला।
पुलिस के अनुसार आरपीएफ के फर्जी ट्रेनिंग सेंटर चलाने वाले बदमाशों के मोतिहारी स्थित ठिकाने से पूर्व में छापेमारी कर एक युवक को जेल भेज दिया गया। उसके पास से राइफल, पिस्तौल और गोली के साथ पुलिस की वर्दी भी बरामद की गई थी।
वहीं पूर्वी चंपारण घोड़ासहन का पप्पू सिंह अभी तक फरार चल रहा है। राज्य से बाहर भाग जाने से पुलिस के पकड़ में नहीं आ रहा है।
जीआरपी थानाध्यक्ष ने पांच दिसंबर को उसके घर पर छापेमारी की थी। इस मामले में सोनपुर एडीआरएम के रसोइया संजय प्रसाद को पुलिस पहले ही जेल भेज चुकी है।
बाद में रिमांड पर लेने पर मुजफ्फरपुर के आइसीआइसीआई बैंक में खाता होने की जानकारी दी थी। उसके मोबाइल कॉल डिटेल्स से चौंकाने वाली बात सामने आई है। इसके आधार पर अन्य लोगों को गिरफ्तार करने में पुलिस जुटी है।
इन प्रदेश के लोगों को बनाते थे शिकार
पता चला कि ये लोग भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फांसते हैं। खासकर झारखंड, कोलकाता, ओडिशा आदि आदिवासी इलाके के लोगों को कैजुअल भर्ती कराकर पांच से छह लाख रुपये ठग ले रहे थे।
इंटरव्यू के समय एक लाख रुपये ले लेते थे। इसके लिए किसी रेल अधिकारी के कार्यालय को चुनते थे। कर्मियों से मिलकर भर्ती की पूरी प्रक्रिया उसके सामने करके पूरे पैसे लेते थे। मोतिहारी, छपरा के हाल्ट पर ट्रेनिंग कराई जाती थी।
फर्जी ट्रेनिंग से जुड़े मोतिहारी के प्रिंस यादव को जीआरपी थानाध्यक्ष ने पूछताछ के लिए नोटिस दिया है। गुरुवार को मोतिहारी स्थित उसके आवास पर जीआरपी के अधिकारी द्वारा नोटिस रिसीव करा दिया गया।
मोतिहारी में रेलवे के फर्जी भर्ती से जुड़े तार में प्रिंस यादव के साथ जेपी राय, दीपक तिवारी, पप्पू सिंह के साथ राजेंद्र तिवारी भी शामिल हैं। पुलिस इनकी तलाश कर रही है। शीघ्र ही इन लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा।
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