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    जहां से गुजरे राहुल गांधी वहां कांग्रेस का दावा हुआ मजबूत, वोट समीकरण को साधने का किया प्रयास

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 08:30 AM (IST)

    दिलीप जायसवाल मुजफ्फरपुर से खबर है कि राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा केवल भाजपा पर निशाना साधने की रणनीति नहीं थी बल्कि कांग्रेस की ताकत दिखाने और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने की भी कूटनीति थी। उत्तर बिहार में यात्रा के दौरान कांग्रेसियों का उत्साह देखने लायक था। प्रियंका गांधी वाड्रा को यात्रा में उतारने का मकसद भी यही था।

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    जहां से गुजरे राहुल वहां कांग्रेस का दावा हुआ मजबूत

     दिलीप जायसवाल, मुजफ्फरपुर। राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा सिर्फ भाजपा पर निशाना साधने की रणनीति नहीं, कांग्रेस की ताकत दिखाने और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भर महागठबंधन में अपना वजन बढ़ाने की कूटनीति भी रही।

    उत्तर बिहार में यात्रा के दौरान कांग्रेसियों का उत्साह यह बताता और जताता भी रहा। प्रियंका गांधी वाड्रा को यात्रा में उतारने का मकसद भी कुछ ऐसा ही था। वह भी मिथिलांचल में। वह उत्तर बिहार में मधुबनी और दरभंगा में यात्रा के दौरान दिखीं।

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    इस क्षेत्र में यात्रा संपन्न होने के बाद स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के नेता कई सीटों पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। इनमें वे सीटें तो शामिल हैं ही, जिनपर पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रत्याशी खड़े किए थे। वे सीटें भी हैं, जहां उन्हें कुछ संभावना दिख रही है।

    वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी उत्तर बिहार के छह जिलों मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण व पश्चिम चंपारण में गए। यहां की 60 सीटों में से उनकी यात्रा उन 23 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी जहां वोट समीकरण उनके पक्ष में था।

    इनमें अधिकतर पर दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा व मुस्लिम वोटरों की अच्छी-खासी संख्या है। बात मधुबनी जिले की करें तो उत्तर बिहार में उनकी यात्रा यहीं प्रवेश की।

    यात्रा जिले की मधुबनी, फुलपरास, लौकहा व झंझारपुर विधानसभा क्षेत्र से गुजरी। फुलपरास में कांग्रेस 2020 में दूसरे नंबर पर थी और इस बार भी इस सीट से लड़ना चाहती है।

    जिले की एक और सीट बेनीपट्टी से भी बीते चुनाव में कांग्रेस ने प्रत्याशी खड़ा किया था, लेकिन हार मिली थी। हालांकि, यात्रा इस सीट से नहीं गुजरी।

    दरभंगा जिले की चार सीटों दरभंगा ग्रामीण, दरभंगा नगर, केवटी और जाले से यात्रा गुजरी। बीते चुनाव में जाले में कांग्रेस लड़ी और दूसरे स्थान पर रही थी। प्रत्याशी डा. मसकूर अहमद उस्मानी हारे थे।

    इस बार भी चुनाव लड़ने के लिए वे क्षेत्र में सक्रिय हैं। जिले की बेनीपुर सीट से भी कांग्रेस लड़ी थी, लेकिन यहां यात्रा नहीं गई। यहां से कांग्रेस के मिथिलेश चौधरी हार गए थे।

    जिले की एक और कुशेश्वरस्थान सीट पर विधायक शशिभूषण हजारी के निधन के कारण 2021 में उपचुनाव हुआ था। 2020 में कांग्रेस ने इस सीट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उप चुनाव में राजद ने अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया था। कांग्रेस भी लड़ी, लेकिन चौथे नंबर पर रही थी।

    उत्तर बिहार के एकमात्र कांग्रेस विधायक के क्षेत्र में नहीं पहुंचे राहुल

    मुजफ्फरपुर के बोचहां, औराई, मीनापुर से गायघाट से यात्रा गुजरी। इनमें से तीन पर राजद के विधायक हैं। इन सीटों पर दलित, महादलित व पिछड़ी जाति के वोटरों का प्रभाव देखते हुए कांग्रेस अपनी जमीन तलाश रही है। खासतौर पर बोचहां में, जो सुरक्षित सीट है।

    उत्तर बिहार में एकमात्र सीट मुजफ्फरपुर नगर से कांग्रेस जीती थी, लेकिन यात्रा के दौरान राहुल गांधी यहां नहीं पहुंचे। सीतामढ़ी जिले की जिन तीन विधानसभा सीटों रुन्नीसैदपुर, सीतामढ़ी व रीगा से यात्रा गुजरी, उनपर एनडीए का कब्जा है।

    बीते चुनाव में रीगा से कांग्रेस प्रत्याशी को दूसरा स्थान मिला था। पूर्वी चंपारण में ढाका, चिरैया, मोतिहारी, नरकटिया, हरसिद्धि व सुगौली और पश्चिम चंपारण में बेतिया व नौतन में यात्रा गई।

    इनमें से दो सीटों बेतिया व नौतन से बीते चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी। 2015 में बेतिया से कांग्रेस नेता मदन मोहन तिवारी को जीत भी मिली थी। ऐसे में इन सीटों पर कांग्रेस का दावा वैसे ही मजबूत दिख रहा है।