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मुजफ्फरपुर के निजी स्कूल संचालकों ने कहा, ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों के मस्तिष्क पर पड़ता बुरा प्रभाव

निजी स्कूल संचालकों ने बैठक कर विद्यालयों को अविलंब खोलने की सरकार से की मांग। संचालकों ने कहा कि सरकार विद्यालयों को बंद कर रही है वहीं खुले बाजार हाट और सरकारी व गैर सरकारी बसों में भीड़ लगा रही है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 10:17 AM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 10:17 AM (IST)
मुजफ्फरपुर के निजी स्कूल संचालकों ने कहा, ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों के मस्तिष्क पर पड़ता बुरा प्रभाव
सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 18 अप्रैल तक सभी शिक्षण संस्थाएं बंद रहेंगीं।

मुजफ्फरपुर, जासं। थाना क्षेत्र के सुजावलपुर चौक के पास निजी विद्यालय में संचालकों की बैठक हुई। अध्यक्षता इंडियन एसोसिएशन ऑफ स्कूल के अध्यक्ष एम. रहमान ने की। कहा कि जब तक सरकार ठोस निर्णय नहीं लेती किसी भी तरह के पठन-पाठन को नहीं चलने दिया जाएगा।

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विद्यालय संचालकों ने कहा कि सरकार विद्यालयों को बंद कर रही है वहीं खुले बाजार हाट और सरकारी व गैर सरकारी बसों में भीड़ लगा रही है। विद्यालयों में जहां बच्चे सुरक्षित होते हैं वहीं उन्हेंं करोना का भय दिखाकर अभिभावकों को गुमराह कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था ने न केवल अभिभावक बल्कि बच्चों के भी मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाला है। विद्यालयों को अविलंब खोला जाए। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सरकार के निर्णय को मानते हुए 18 अप्रैल तक कोचिंग संस्थान निजी विद्यालय व ट्यूशन को भी बंद कराया जाएगा। मौके पर सचिव राहुल कुमार, रामानंद प्रसाद, मनीष कुमार, सानू कुमार, रवि कुमार, सत्येंद्र कुमार, चंचल, अभिषेक, सुजीत, अखिलेश कुमार, मंतोष कुमार, प्रभात कुमार समेत सैकड़ों विद्यालय संचालक मौजूद थे। बैठक के बाद विद्यालय के संचालकों ने गांव में घूम-घूम कर चल रहे कोचिंग संस्थानों को बंद कराया।

महान दार्शनिक और क्रांतिकारी समाजसेवक थे ज्योतिबा फुले

मुजफ्फरपुर : महात्मा ज्योतिबा फुले की 195वीं जयंती पर अतरदह स्थित विश्व विभूति पुस्तकालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता आरडीएस कॉलेज के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ.संजय सुमन ने कहा कि ज्योतिबा फुले महान दार्शनिक तथा क्रांतिकारी समाज सेवक थे। उन्होंने दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए सत्यशोधक समाज की स्थापना की। उन्होंने सामाजिक संघर्ष के लिए युवाओं का आह्वान किया।

विशिष्ट वक्ता डॉ.एमएन रिजवी ने कहा कि महात्मा फुले कुप्रथा एवं अंधश्रद्धा के जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। उन्होंने स्त्री शिक्षा एवं उनके अधिकार के लिए काफी संघर्ष किया। उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई। डॉ.ललन भगत ने कहा कि फुले की समाज सुधार के प्रति प्रतिबद्धता आने वाली पीढिय़ों को प्रेरित करती रहेगी। अध्यक्षता करते हुए महेश्वर प्रसाद ने कहा कि वर्तमान समय में महात्मा फुले के विचार काफी प्रासंगिक हैं। उन्होंने क्रांतिकारी विचार प्रेषित करने के लिए सभी वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया और उनका अभिनंदन किया। अन्य वक्ताओं में प्रो.अवधेश कुमार, डॉ.हरे राम महतो, डॉ. हरिशंकर भारती, रंजीत कुमार, दिलीप बौद्ध, नरेंद्र कुमार अंबेडकर, डॉ.ललित किशोर आदि मौजूद रहे। मंच संचालन व विषय प्रवेश मुंद्रिका दास ने किया। धन्यवाद ज्ञापन रंजीत कुमार ने किया।  


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