मुजफ्फरपुर के राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में पौधा @ 100 रुपये, इस वर्ष मिले आर्डर के आंकड़े चौंकाने वाले
मुजफ्फरपुर के राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की पौधशाला में इस वर्ष 50 हजार पौधे तैयार किए गए हैं। असम उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से लगातार ऑर्डर आ रहे हैं। किसानों को 100 रुपये प्रति पौधा उपलब्ध कराया जा रहा है। शाही लीची के दायरे को बढ़ाने के लिए केंद्र लगातार प्रयास कर रहा है और व्यावसायिक खेती को प्रोत्साहित कर रहा है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की पौधशाला में इस वर्ष करीब 50 हजार पौधे तैयार किए गए हैं। देशभर के किसानों से लगातार आर्डर मिल रहे हैं। असम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब व पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के किसान यहां से पौधे ले रहे हैं।
अनुसंधान केंद्र के निदेशक डा.विकास दास ने बताया असम के जोरहाट में 5,000 व उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 500 पौधे भेजे गए हैं। इसके अलावा तमिलनाडु व महाराष्ट्र को 100-100 पौधे, छत्तीसगढ़ व अरुणाचल प्रदेश को 7,000-7,000 तथा सिक्किम को 40 शाही लीची के पौधे उपलब्ध कराए गए हैं।
नार्थ ईस्ट के राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम व सिक्किम से भी लगातार आर्डर प्राप्त हो रहे हैं। डा.दास ने बताया पौधशाला की कुल क्षमता 50 हजार पौधों की है। इसकी देखरेख के लिए एक विज्ञानी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। किसानों को मात्र 100 रुपये प्रति पौधा उपलब्ध कराया जा रहा है।
यहां शाही व चाइना प्रजातियों के अलावा केंद्र द्वारा विकसित गंडकी योगिता, गंडकी लालिमा व गंडकी संपदा प्रजातियों के पौधे भी तैयार किए गए हैं। कहा शाही लीची का दायरा और इसके निर्यात नेटवर्क को बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र लगातार प्रयासरत है।
इसके लिए विशेषज्ञ विभिन्न राज्यों में जाकर किसानों से मुलाकात कर रहे हैं और जहां व्यावसायिक खेती नहीं होती, वहां भी पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसान अनुसंधान केंद्र परिसर से भी सीधे पौधे खरीद सकते हैं। इसके लिए उन्हें एक रसीद दी जाती है, जो गेट पास के रूप में मान्य होती है।
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