महाभारतकालीन पांडव स्थान उपेक्षित, खोदाई स्थल पर लोग कर रहे खेती Samastipur News
दलसिंहसराय के पांडव स्थान की खोदाई में मिली थीं मनके स्फटिक मिट्टी के बर्तन सहित अन्य वस्तुएं। रेडियो कार्बन डेटिंग के अनुसार यहां मिलीं चीजें लगभग 3600 वर्ष पुरानी।
समस्तीपुर,दलसिंहसराय [अंगद कुमार सिंह]। जिस स्थल को अतुल्य भारत के तहत वैश्विक पर्यटन के मानचित्र पर होना चाहिए, वह अपनी पहचान खोता जा रहा। वहां खेती की जा रही। यह है दलसिंहसराय स्थित महाभारतकालीन पांडव स्थान। लगभग 22 एकड़ में यह फैला है। यहां खोदाई में पुरातात्विक अवशेष मिले हैं। इसकी महत्ता देखते हुए मुख्यमंत्री ने पर्यटन स्थल का दर्जा देने की घोषणा की थी। लेकिन, हुआ कुछ नहीं।
पाड़ पंचायत स्थित पांडव स्थान का इतिहास महाभारतकाल से जुड़ा बताया जाता है।
कहा जाता है कि वनवास के दौरान यहां पांडव आए थे। यहां पांडव कृष्ण धाम मंदिर भी है, जहां पांडवों की प्रतिमाएं लगी हैं। वर्ष 2002 में हुए पुरातात्विक उत्खनन में कुषाणकालीन सभ्यता के भी प्रमाण मिले थे। दीवारें भी मिली थीं, जो 45 सेमी से लेकर एक मीटर चौड़ी थीं। एक मृदभांड के टुकड़े पर ब्राह्मी लिपि का अभिलेख मिला था। 15 स्तंभों का भी पता चला था। ऐसी मूर्तियां मिली थीं, जिससे नाथ पूजा होने की पुष्टि होती है। यहां आज भी नाथ पूजा होती है।
इसे साढ़े तीन से चार हजार वर्ष पुरानी ताम्रपाषाण कालीन सभ्यता के रूप में चिन्हित किया गया है। यहां से प्राप्त पुरावशेषों की तुलना सूबे के सोनपुर व चिरांद के अलावा देश में अन्य जगहों पर ऐसी सभ्यता के मिले प्रमाणों से की जाती है।
अभिलेखों और वस्तुओं की हुई जांच
खोदाई में मिले ब्राह्मी अभिलेख, राजाओं की तस्वीर युक्त तांबे के सिक्के, तांबे की कटोरियां, औजार, मुहर, मिट्टी के बर्तन, मूर्तियां, गोमेद पत्थर, मोतियां, काले रंग का चमकीला बर्तन, हाथी दांत एवं कुषाणकालीन सिक्कों सहित अन्य की जांच कराई गई। लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान में रेडियो कार्बन डेङ्क्षटग से जांच में सभी चीजें लगभग 3600 वर्ष पुरानी बताई गईं।
पर्यटन स्थल बनाने की हुई थी घोषणा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस स्थल को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की बात कही थी। लेकिन, कुछ नहीं हुआ। स्थानीय मुखिया शंकर महतो का कहना है कि सात महीने पूर्व यहां करीब साढ़े चार बीघा खेत की नापी पर्यटन स्थल बनाने के लिए प्रशासन ने करवाई। उसके बाद से कुछ नहीं हुआ। जिन स्थानों पर खोदाई हुई थी, वहां आसपास के आधा दर्जन किसान खेती कर रहे हैं।
पूरी तरह खोदाई से बड़े इतिहास से उठेगा पर्दा
वीपी मंडल यूनिवर्सिटी, मधेपुरा में इतिहास के सहायक प्रोफेसर संजीव कुमार संजू का कहना है कि पांडव स्थान 22 एकड़ में फैला है। यदि इसकी पूरी तरह से खोदाई हो तो एक बड़े इतिहास से पर्दा उठेगा।
दलङ्क्षसहसराय के एसडीओ विष्णुदेव मंडल का कहना है कि विभाग को भूमि अधिग्रहण के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
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