'जब तक कार्रवाई नहीं होती, दाह-संस्कार नहीं', मुजफ्फरपुर में मरीज की मौत के बाद हंगामा, डॉक्टर पर गंभीर आरोप
मुजफ्फरपुर में एक मरीज की ठंड लगने से मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया। परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग ...और पढ़ें
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कार्रवाई की मांग करते हुए शव अस्पताल के बाहर रखकर हंगामा। फोटो जागरण
केशव कुमार, मुजफ्फरपुर। शहर के जुरन छपरा रोड नंबर तीन संजीवनी हास्पीटल में शनिवार की सुबह मरीज के मौत के बाद आक्रोशित लोगों ने जमकर हंगामा किया। मृतक के परिजनों ने इलाज में कोताही का आरोप लगाया। इस बीच अस्पताल के बाहर अफरातफरी मची रही।
प्रदर्शनकारी लापरवाह चिकित्सक और कर्मचारी पर कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। सूचना मिलने पर ब्रह्मपुरा थाना की पुलिस मौके पर पहुंची। लोगों की शिकायत के बाद पुलिस अस्पताल प्रबंधक से पूछताछ कर रही है। थानाध्यक्ष ने बताया कि शिकायत के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अस्पताल पर लापरवाही का आरोप
मृतक मरीज जैतपुर रेपुरा रामपुर विश्वनाथ का भोला कुमार था। चाचा नन्की पासवान ने बताया कि शुक्रवार को ठंड लगने के कारण बुखार के साथ कय - दस्त शुरू हो गया था। गांव के एक व्यक्ति ने प्राथमिकी उपचार के बाद वह संजीवनी अस्पताल ले जाने को कहा। जिसके बाद मरीज को लेकर शाम को संजीवनी अस्पताल पहुंचे।
चिकित्सक ने देखने के बाद दवा देते हुए दो-तीन सुई लगा दी। इसके बाद भोला को अस्पताल के बाहर बरामदे पर रखा दिया। रात में किसी ने उसे नहीं देखा और इलाज नहीं किया। यहां तक की रेफर भी नहीं किया। सुबह-सुबह उसकी सांस नहीं चलतें रहने पर जब वह अस्पताल के एक कर्मचारी को बताया तो वह दौड़ा-दौड़ा पहुंचा।
भोला को आला लगाकर देखा और मृत घोषित कर दिया। पूछने पर फरार हो गया। कोई कुछ बोल नहीं रखा था। ननकी पासवान ने बताया कि रातभर अस्पताल में कोई चिकित्सक भी नहीं थें। चिकित्सक द्वारा किए इलाज का उसने पेमेंट भी किया था।
चाचा का कहना था कि अगर चिकित्सक इलाज करते तो भोला बच सकता था। इलाज को लेकर उन्होंने अस्पताल में पचास हजार रुपए भी दिए, फिर भी इलाज करने के बजाए बरामदे पर मरीज को रख दिया। ठंड लगने के कारण वह बीमार हुआ था। पहले उसे कोई अन्य परेशानी कभी नहीं हुई थी।
परिवार का अकेला सहारा
ननकी पासवान ने बताया कि भोला पर ही इसका परिवार आश्रित था। अब परिवार की देखरेख और जीवन-यापन कौन चलाएगा। उसने जिला प्रशासन से ऐसे अस्पताल पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने बताया कि जब तक उसपर कार्रवाई नहीं होगी वह शव का दाह-संस्कार नहीं करेंगे।
इधर, डॉ. धीरज कुमार ने बताया कि गंभीर हालत में मरीज इलाज को पहुंचा था। ठंड लगने के दौरान बीमार हुआ था। डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल कर्मचारियों के साथ उन्होंने मरीज को बचाने का अथक प्रयास किया, लेकिन मरीज नहीं बच सका। पचास हजार रुपए लेने संबंधित लगाया गया आरोप बेबुनियाद है।

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