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    मुजफ्फरपुर के 1400 करोड़ समेत सहायक अनुदान मद में आवंटित 38 हजार करोड़ का नहीं दिया हिसाब

    By Babul Deep Edited By: Ajit kumar
    Updated: Wed, 10 Dec 2025 11:57 AM (IST)

    वित्तीय वर्ष 2023-24 में सहायक अनुदान मद में आवंटित 38 हजार करोड़ रुपये का हिसाब अभी तक नहीं दिया गया है। पंचायती राज विभाग के सचिव ने सभी डीपीआरओ को ...और पढ़ें

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    लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र को लेकर समीक्षा की जाएगी।  प्रतीकात्मक चित्र

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar News: सहायक अनुदान मद में राज्य के सभी जिलों को वित्तीय वर्ष 2023-24 में करीब 38 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि आवंटित की गई थी, लेकिन अब तक इस राशि का हिसाब किसी भी जिले से नहीं दिया गया है।

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    इसपर पंचायती राज विभाग के सचिव ने आपत्ति जताई है। उन्होंने सभी जिला पंचायती राज पदाधिकारी (डीपीआरओ) को इससे अवगत कराया है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि 18 माह के अंदर अनिवार्य रूप से उपयोगिता प्रमाण पत्र महालेखाकार कार्यालय अथवा विभाग को भेजने का प्रविधान है। इसके बावजूद भी अब तक उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देना चिंताजनक है।

    इसमें शिथिलता से लेखा की पारदर्शिता प्रभावित हो रही है। उन्होंने लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र का समायोजन करने के लिए कैंप मोड में कार्य करते हुए अनिवार्य रूप से जनवरी तक इसे पूरा करने को कहा है। साथ ही इसकी रिपोर्ट भी भेजने को कहा गया है।

    ताकि इससे महालेखाकार कार्यालय को अवगत कराया जा सके। इसके लिए साप्ताहिक लक्ष्य निर्धारित करने को कहा है। इसके अलावा मुख्यालय स्तर पर पाक्षिक बैठक आयोजित कर लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र को लेकर समीक्षा की जाएगी। तिथिवार कैंप के आयोजन की सूचना विभाग को भी देने को कहा गया है। ताकि मुख्यालय स्तर से भी इसका निगरानी और अनुश्रवण किया जा सके।

    14 सौ करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित

    मुजफ्फरपुर में भी करीब 14 सौ करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है। इसके अलावा दरभंगा में 1322 करोड़, पूर्वी चंपारण में 1774 करोड़, मधुबनी में 1621 करोड़, समस्तीपुर में 1144 करोड़, शिवहर में 206 कराेड़, सीतामढ़ी में 1293 करोड़, पश्चिम चंपारण में 1335 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है।

    बताया गया कि सहायक अनुदान मद की राशि शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यवसाय और समाज कल्याण विभाग से जुड़ी योजनाओं के लिए आवंटित कराया जाता है। उक्त राशि खर्च करने के लिए साक्ष्य समेत इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र महालेखाकार कार्यालय को देना अनिवार्य होता है। ताकि इस राशि का समायोजन करने के बाद दूसरा आवंटन किया जा सके। लंबित रहने पर अगले आवंटन में तकनीकी समस्या उत्पन्न होती है।