49 में से 44 सीटों पर एनडीए ने जमाया कब्जा, तिरहुत में तो कमाल ही हो गया
Bihar chunav Result: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने तिरहुत क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करते हुए 49 में से 44 सीटें जीतीं। महागठबंधन को 11 सीटों का नुकसान हुआ। सीतामढ़ी की सभी आठ सीटें एनडीए ने जीतीं। मुजफ्फरपुर में एनडीए ने 2010 के प्रदर्शन को दोहराया। वैशाली में महागठबंधन को झटका लगा, जबकि पश्चिम चंपारण में कांग्रेस ने कुछ सीटें जीतीं। एनडीए की नीतियों और महिला मतदाताओं का समर्थन जीत का मुख्य कारण रहा।

Bihar chunav Result: एनडीए की जीत के बाद खूब उड़े रंग और गुलाल। जागरण
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar chunav Result: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की सुनामी चली। तिरहुत ने भी इसके अनुरूप ही परिणाम दिया। एनडीए के लिए उर्वरा रही इस जमीन पर 49 में से 44 सीटों पर एनडीए ने कब्जा जमाया।
पिछले विधानसभा चुनाव में 33 सीटें ही मिली थीं। इस तरह एनडीए ने 11 सीटें महागठबंधन से छीन ली। सीतामढ़ी की सभी आठ और शिवहर की एक सीट इस गठबंधन के खाते में गई।
वहीं मुजफफरपुर, पूर्वी चंपारण और वैशाली में एक-एक सीट छोड़कर सभी पर एनडीए ने जीत दर्ज कर ली। पश्चिम चंपारण में कांग्रेस ने कम वोटों के अंतर से ही सही, मगर अपनी खोई जमीन पाई। यहां इस पार्टी ने चनपटिया और वाल्मीकिनगर में जीत दर्ज की।
एनडीए के क्लीन स्वीप को यहां कांग्रेस ने रोक दिया। मुजफ्फरपुर में एनडीए ने वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव परिणाम को दोहराया। उसे 11 में से 10 सीटें मिलीं। पारू में भाजपा विधायक का टिकट काटना एनडीए की चूक हुई।
वोटों के बिखराव के कारण इसपर राजद की जीत हो गई। पूर्वी चंपारण में एनडीए ने महागठबंधन से तीन सीट सुगौली, कल्याणपुर और नरकटिया छीना, मगर ढाका गंवा दिया। इस कारण एनडीए को दो सीट का फायदा हुआ।
12 में से 11 सीटों पर गठबंधन के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की। महागठबंधन को बड़ा झटका वैशाली में लगा। यहां आठ में से एक राघोपुर सीट किसी तरह राजद के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने बचाई। इसके बावजूद महागठबंधन को तीन सीटों का नुकसान हुआ।
पिछले चुनाव में आठ में से चार सीट महागठबंधन को मिली थी। सीतामढ़ी में जनक जननी के भव्य मंदिर का प्रसाद एनडीए को मिला। यहां सभी आठ सीटों पर जीत हासिल की। पिछले बार यहां छह सीटें मिली थीं। शिवहर की एकमात्र सीट भी एनडीए ने महागठबंधन से छीन ली।
एनडीए के पक्ष में इस परिणाम का सबसे बड़ा कारण एनडीए सरकार की नीतियां रहीं। महिलाओं के बढ़े वोट प्रतिशत ने इसकी संभावना पहले ही जता दी थी। पराजित महागठबंधन के उम्मीदवारों की भी यही प्रतिक्रिया रही कि इस सुनामी में उनका टिक पाना मुश्किल था।

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