Bihar News : सुर्खियों में इस अफसर की कार्यशैली, डेढ़ साल तक दबाए रहे दो हजार मामले, निलंबन के दिन दिए दर्जनभर आदेश
Bihar News मुजफ्फरपुर में निलंबित डीसीएलआर पश्चिमी धीरेंद्र कुमार की पोल खुल गई है। उन्होंने अपने कार्यकाल में दो हजार से अधिक मामलों को दबाए रखा जिनमें से कई की सुनवाई तक नहीं हुई। 92 वादों को डिस्पोजल दिखाने के बावजूद उनके आदेश आनलाइन दर्ज नहीं थे। 380 वादों को लंबित रखा गया। वर्तमान डीसीएलआर ने इन सभी मामलों की पुनः सुनवाई का आदेश दिया है।

प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। Bihar News : राज्य में बढ़ते अपराध के लिए सरकार के पदाधिकारी जमीन के विवाद को कारण मानते हैं। दूसरी ओर उनके ही पदाधिकारी जमीन विवाद को समाप्त ही नहीं करना चाहते। निलंबन की तिथि को पूर्व में बिना सुनवाई दर्जन भर आदेश जारी करने वाले पूर्व डीसीएलआर पश्चिमी धीरेंद्र कुमार की एक-एक कर सारी कारस्तानी सामने आ रही है।
वर्तमान डीसीएलआर पश्चिमी स्नेहा कुमारी ने कार्यालय का निरीक्षण किया तो पाया कि उन्होंने डेढ़ साल के अपने कार्यकाल में करीब दो हजार मामलों को दबाए रखा। डेढ़ हजार अभिलेख की सुनवाई ही नहीं की। यहां तक कि इन वादों का नोटिस तक जारी नहीं किया गया।
यही नहीं धीरेंद्र कुमार ने जिन 92 वादों का निष्पादन कर आनलाइन डिस्पोजल बता दिया, उन आर्डर की कापी आनलाइन दर्ज ही नहीं की गई। करेला पर नीम यह चढ़ा कि 380 वादों को आदेश पर रखने के बाद भी उन्होंने इन्हें निष्पादित नहीं किया।
आनलाइन जारी आदेशों की फिर से होगी सुनवाई
डीसीएलआर पश्चिमी स्नेहा कुमारी ने निरीक्षण में मिली गड़बड़ी के बाद आदेश जारी किया है। इनमें उन सभी 92 वादों को फिर से सुनवाई पर रखने का निर्णय लिया गया है जिन्हें डिस्पोज्ड दिखा गया गया था। इसके अलावा सुनवाई पर रखे गए सभी 380 वादों की तिथि पुन: निर्धारित करते हुए सुनवाई की जाएगी।
निरीक्षण में यह मामला भी सामने आया कि रोकड़ बही का छह अगस्त से अब तक सत्यापन नहीं किया गया है। कार्यालय में अनुशासन बनाए रखने के लिए कोर्ट के बाहर एक ताला बंद नोटिस बोर्ड लगाने का आदेश दिया गया है।
मुख्य सचिव के निर्देशों की भी की थी अनदेखी
निलंबित डीसीएलआर पश्चिमी धीरेंद्र कुमार ने राजस्व संबंधित कार्यों में अत्यंत शिथिलता बरती थी। बार-बार विभाग और मुख्य सचिव के स्तर से निर्देश देने के बावजूद भी इसके अनुपालन करने में रुचि नहीं ले रहे थे। नतीजा सरकार ने उन्हें मई में निलंबित कर दिया था।
यही नहीं निलंबन की तिथि को उन्होंने मोतीपुर के कई वादों का निष्पादन कर दिया था। यहां सबसे गंभीर सवाल यह था कि उन्होंने इन वादों की एक भी सुनवाई नहीं की थी। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री ने मामला संज्ञान में आने पर इसकी जांच की बात कही है।
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