मुजफ्फरपुर-सोनबरसा फोरलेन निर्माण को लेकर सर्वे शुरू, जल्द जारी होगा टेंडर
मुजफ्फरपुर-सोनबरसा फोरलेन निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सड़क को फोरलेन बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण का आकलन किया जा रहा है। NHAI के पास पहले से ही अधिग्रहित भूमि का उपयोग किया जाएगा। इस 80 किलोमीटर लंबे मार्ग को फोरलेन बनाने में लगभग 2400 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सड़क के फोरलेन होने से नेपाल तक की यात्रा सुगम होगी।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर-सोनबरसा फोरलेन निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसे लेकर सर्वे कार्य किया जा रहा है। देखा जा रहा है कि वर्तमान टू लेन सड़क को फोरलेन बनाने के लिए कितनी भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता पड़ेगी।
इसके लिए अंचल अमीन की तैनाती कर मापी व सीमांकन कार्य हो रहा है। इस एनएच-77 के लिए पूर्व में भूमि का अधिग्रहण किया गया है। अब एनएचएआई के पदाधिकारी यह पता कर रहे हैं कि वहां पर वर्तमान में कितनी जमीन शेष है।
एनएचएआई के एक पदाधिकारी ने बताया कि भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता कम होगी, क्योंकि उक्त मार्ग में काफी भूमि एनएचएआई के पास पहले से अधिग्रहित है। मापी व सीमांकन से इसका पता लग जाएगा। इसके लिए पूर्व में अधिग्रहित भूमि के कागजात का भी आकलन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि शीघ्र ही इसका टेंडर भी जारी किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने लागत के संबंध में जानकारी नहीं दी, लेकिन पूर्व में जो प्राक्कलन तैयार किया गया था, उसके अनुसार इस पथ को फोरलेन बनाने में करीब 24 सौ करोड़ की लागत आएगी। इसकी लंबाई करीब 80 किलोमीटर है।
टू लेन सड़क को फोरलेन करने के लिए दोनों लेन 10-10 मीटर व एक मीटर का बीच में डिवाइडर बनाया जाएगा। वर्तमान में इस सड़क की चौड़ाई करीब 11 मीटर है।
इस पथ पर ट्रैफिक का अत्यधिक दबाव होने से अक्सर जाम की समस्या रहती है। इससे आवागमन सुचारु नहीं रहता है। इसे देखते हुए एनएचएआई ने इस सड़क को फोरलेन करने का निर्णय लिया था।
नेपाल तक जाने की यात्रा होगी सुगम
मुजफ्फरपुर-सोनबरसा एनएच के फोरलेन होने पर सीतामढ़ी व वहां से नेपाल तक जाने की यात्रा सुगम होगी। इसके अलावा मझौली-चोरौत फोरलेन भी चालू हो जाएगा। यानी दोनों मार्ग से नेपाल तक पहुंचने की सुविधा होगी और समय की बचत होगी।
आवागमन सुगम होगा तो व्यवसाय व रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे। रुन्नीसैदपुर में फ्लाईओवर या बाईपास बनाने को लेकर अभी मंथन चल रहा है।
एनएचएआई के पदाधिकारी के अनुसार यहां पर जमीन की चौड़ाई कम है। इसलिए देखा जा रहा कि बाईपास अथवा फ्लाईओवर में कौन सा विकल्प सही रहेगा। शीघ्र ही इस पर निर्णय पारित होने की बात कही है।
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