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    Muzaffarpur News: SKMCH के ड्रेसिंग रूम की स्टेरलाइजर खराब, संक्रमण कम होने की जगह बढ़ने का खतरा

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 04:51 AM (IST)

    मुजफ्फरपुर के SKMCH अस्पताल में ड्रेसिंग रूम का स्टेरलाइजर खराब होने से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। स्टेरलाइजर की खराबी के कारण संक्रमण कम होने की जगह ...और पढ़ें

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    एसकेएमसीएच के ड्रेसिंग रूम में फैली गंदगी। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। उत्तर बिहार के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज व अस्पताल एसकेएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड का सिस्टम ही बीमार हो गया है। हालात यह है कि वार्ड में गंभीर मरीजों के इलाज के उपकरणों में जंग लगा है। ड्रेसिंग कक्ष में उपकरण को स्टेरलाइज तक नहीं किया जा रहा है।

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    ड्रेसिंग कक्ष में स्टेरलाइज गौज की व्यवस्था है न सीजर की। इस स्थिति में चिकित्सक व पारामेडिकल स्टाफ जंग लगे उपकरणों से गंभीर मरीजों का इलाज करते हैं। ऐसे में इमरजेंसी में प्रतिदिन उपचार कराने आने वाले मरीजों में संक्रमण का खतरा रहता है, क्योंकि इनमें वे मरीज शामिल हैं जो घायल होकर चोट का उपचार कराने आते या फिर आपरेशन के बाद ड्रेसिंग कराते।

    इन मरीजों के पट्टी बदलने, घाव साफ करने, संक्रमित घाव की सफाई कराने सहित अन्य कार्यों के लिए जिन उपकरणों को उपयोग में लिया जा रहा है उनमें से अधिकतर पुराने हैं। साथ ही बिना स्टेरलाइज के उपयोग किए जा रहे हैं। टेबल व उपकरण के स्टैंड में जंग लगी हुई है। उस पर मरीजों को लेटा कर उपचार किया जा रहा है। इन उपकरणों के कारण मरीजों को टिटनेस समेत अन्य संक्रमण होने का खतरा है।

    जंग और खून लगे उपकरणों का उपयोग इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों पर स्लाइन से धोकर किया जा रहा है। एक मरीज के जिन उपकरण से स्टीच लगाए जा रहे या जख्मों की सफाई की जा रही है, उन्हीं उपकरण को बिना स्टेरलाइज के दूसरे मरीज के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

    यहां तक मरीज के स्टीच लगाने के बाद धागे को काटने के लिए सीजर तक मौजूद नहीं है। बीपी ब्लेड से धागे काटे जा रहे हैं। स्टेरलाइज करने के लिए स्टेरलाइज मशीन तो रखी है, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण फेंकी है। गोज के लिए ड्रम तो है, लेकिन उनमें गोज जैसे-तैसे निकाले जा रहे हैं।

    अधिकतर गोज बैगर स्टेरलाइज के ही उपयोग किए जा रहे हैं। मरीजों के लिए हाइड्रोलिक ड्रेसिंग टेबल तो रखी है लेकिन उस पर के चादर तक फटी रहती है। टेबल पर रबड़ सीट तो बिछी है लेकिन उस पर खून के धब्बे जमे हैं।

    चिकित्सक एप्रन पहनते नहीं हैं और पारामेडिकल स्टाफ व वार्ड ब्वाय ड्रेसकोड का पालन नहीं करते। मरीज के स्वजन एक दूसरे को ही पूछते नजर आते हैं कि यहां डाक्टर कौन है और स्टाफ कौन। इसको लेकर अनेकों बार अस्पताल प्रशासन ने आदेश निकाल चुके हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होने के कारण कर्मचारी अपने हरकत से बाज नहीं आ रहे।

    इमरजेंसी वार्ड में इलाज के लिए ये उपकरण जरूरी

    स्टेरलाइज गोज, ड्रेसिंग मेटेरियल, री सेक्स्यूशन किट, प्लस आक्सीमीटर 2, बीपी उपकरण 2, सेक्शन मशीन 2 इनमें से एक फूट आपरेटेड, मेडिसिन की इमरजेंसी ट्रे, कैथेटर ट्रे, थर्मामीटर, लेरिगों स्कोप, मल्टी पैरा मोनीटर, मेडिकल आक्सीजन सिलेंडर, आक्सीजन फ्लोमीटर के साथ आवश्यक सामग्रि होनी अनिवार्य है।