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    47 वर्षों के बाद समस्तीपुर रेलमंडल को मिला पुराना मार्ग, जानिए अब क्या-क्या बदल जाएगा

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 02:14 PM (IST)

    रेल मंत्रालय ने मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर रेलखंड को समस्तीपुर रेल मंडल में मिला दिया है जिससे समस्तीपुर को 47 साल बाद अपना पुराना मार्ग वापस मिल गया है। 1978 से पहले यह खंड समस्तीपुर का ही हिस्सा था। 1978 में कर्पूरी ठाकुर के मुख्यमंत्री रहते हुए इसे सोनपुर मंडल से जोड़ा गया था लेकिन अब इसे फिर से समस्तीपुर में शामिल कर लिया गया है।

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    47 वर्षों के बाद समस्तीपुर रेलमंडल को मिला पुराना मार्ग

    जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। रेल मंत्रालय ने मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर रेलखंड को समस्तीपुर रेल मंडल में समाहित कर दिया है। अधिसूचना के जारी होते ही समस्तीपुर रेल मंडल को 47 वर्षों के बाद अपना पुराना परिचालन मार्ग मिल गया है। 1978 के पूर्व तक यह खंड समस्तीपुर रेल मंडल का ही हिस्सा था।

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    1969 में समस्तीपुर रेल जिला (तब मंडल) की स्थापना हुई थी। 1969 में 10 माह तक केंद्रीय रेलमंत्री रहे रामसुभग सिंह के कार्यकाल में सोनपुर का अस्तित्व समाप्त कर समस्तीपुर को रेलमंडल का अस्तित्व प्रदान किया गया।

    समें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री सत्यनारायण सिन्हा का भी योगदान रहा। सुचारू रेल परिचालन के लिए रेलवे ने 1975 में उप मंडलीय यातायात अधीक्षक को पदस्थापित किया गया था।

    कर्पूरी ठाकुर के सीएम रहते सोनपुर मंडल से जोड़ा गया था समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर:

    स्पेशल ड्राइवर पद से सेवानिवृत्त जितवारपुर निवासी आनंद राय बताते हैं कि 1978 में कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री थे। रामसुंदर दास उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी। 1977 में रामसुंदर दास के नजदीकी मधु दंडवते रेलमंत्री बने तो उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए सोनपुर रेलमंडल का शुभारंभ 1978 में कराया था।

    इसके साथ ही समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर रेलखंड को सोनपुर रेलमंडल से जोड़ दिया गया, तबसे यह क्रम लगातार चलता रहा। सोनपुर का था सामरिक महत्व : सोनपुर रेलमंडल का उद्घाटन तत्कालीन रेलमंत्री प्रो. मधु दंडवते ने 21 अक्टूबर, 1978 को किया था।

    रेलवे ट्रेड यूनियन नेता शत्रुघ्न पंजी बताते हैं कि इसके पूर्व 1975 तक यातायात परिचालन के उद्देश्य से सोनपुर में उपयातायात अधीक्षक (डीडीटीएस) ही कार्यरत थे। सोनपुर हमेशा पूर्वोत्तर रेलवे में रेल आवाजाही का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। 1969 में एनईआर के मंडलीकरण से पहले, सोनपुर आठ रेलवे जिलों में सबसे बड़ा था।  सोनपुर के सामरिक महत्व को देखते हुए यह 15 अगस्त, 1975 से एक आपरेटिंग डिवीजन के रूप में कार्य कर रहा था।

    पंजी बताते हैं कि 1969 में केंद्रीय रेलमंत्री रहे रामसुभग सिंह का कार्यक्रम सोनपुर में हुआ था। इस दौरान कुछ बात होने पर मंडल का अस्तित्व समाप्त कर समस्तीपुर रेलमंडल को अस्तित्व प्रदान किया गया था।

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