Muzaffarpur News: रामदयालु आरओबी के लिए लोगों को करना होगा और इंतजार, पुल निर्माण निगम नहीं NHAI करेगा निर्माण
मुजफ्फरपुर में रामदयालु आरओबी का निर्माण अब एनएचएआइ करेगा क्योंकि पुल निर्माण निगम द्वारा बनाए गए डिजाइन से मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन के संरेखण में बाधा आ रही थी। एनएचएआइ ने एनओसी न मिलने के कारण नए सिरे से टेंडर जारी करने का फैसला किया है। 187 करोड़ की इस परियोजना में पहले भी तकनीकी अड़चनें आई थीं जिससे इसके पूरा होने में देरी हो रही है।

बाबुल दीप, मुजफ्फरपुर। रामदयालु आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) का निर्माण अब पुल निर्माण निगम लिमिटेड नहीं एनएचएआइ करेगा। दरअसल, एनएचएआइ द्वारा मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन का निर्माण किया जाना है और आरओबी का संरेखन (एलाइनमेंट) इसके आड़े आ रहा था।
इस अलावा आरओबी का एक रैंप भी एनएचएआइ के सड़क में मिलता। इस कारण से मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन के डिजाइन में बदलाव करना पड़ता।
इसके अलावा पूर्व से निर्मित रामदयालु पुल को भी फोरलेन किया जाना है। आरओबी का जो डिजाइन पुल निर्माण निगम ने बनाया था, उससे रामदयालु पुल का डिजाइन प्रभावित हो रहा था।
इसके लिए एनएचएआइ से एनओसी भी नहीं ली गई थी। पुल निर्माण विभाग और एनएचएआइ के पदाधिकारियों के बीच मुजफ्फरपुर से पटना तक करीब 10 बैठकें हुई।
आरओबी और फोरलेन सड़क की डिजाइन में बदलाव करने और एनओसी देने को लेकर भी चर्चा हुई, लेकिन बात नहीं बनी। अंतत : अब एनएचएआइ ही रामदयालु आरओबी का निर्माण करेगा।
एनएचएआइ के परियोजना निदेशक ने बताया कि मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन का निर्माण हम लोग करा ही रहे हैं और यह आरओबी भी उसी का एक हिस्सा होगा तो अलग-अलग विभाग निर्माण क्यों कराएगा।
हम अपने अनुसार ही इसका निर्माण कराएंगे, क्योंकि दोनों विभाग अगर निर्माण करेंगे तो सामंजस्य बैठाना थोड़ा मुश्किल होगा। एक सप्ताह में इसपर अंतिम मुहर लग जाएगी। यह परियोजना एनएचएआइ को मिल जाएगी।
अब नए सिरे से कराया जाएगा टेंडर
रामदयालु आरओबी का जनवरी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिले की प्रगति यात्रा के दौरान अवलोकन किया था। इसके बाद राज्य कैबिनेट की बैठक में प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई। 187 करोड़ रुपये से इसका निर्माण होना था। राशि आवंटित होने के साथ टेंडर भी फाइनल कर लिया गया था।
रेलवे की ओर से भी पुल निर्माण निगम द्वारा बनाए गए आरओबी के डिजाइन को स्वीकृति प्रदान कर दी गई थी। झारखंड के हरदेव कंस्ट्रक्शन को टेंडर भी दे दिया गया, लेकिन पुल निर्माण निगम के अधिकारियों से एक गलती हो गई और पूरी परियोजना हाथ से निकल गई।
उन्होंने एनएचएआइ से एनओसी नहीं लिया, जबकि डिजाइन फाइनल करते समय ही पता लग गया था कि आरओबी का दोनों छोर एनएचएआइ अधीन सड़क में मिलेगा। नियमानुसार शुरू में ही एनएचएआइ से एनओसी लेने की प्रक्रिया पूरी करते, लेकिन एक चूक से पूरी मेहनत पर पानी फिर गया।
परियोजना निदेशक ने बताया कि एनएचएआइ अब अपने स्तर से नए सिरे से टेंडर जारी करेगा। अगर शुरू में ही एनओसी लेने की प्रक्रिया की जाती तो प्रोजेक्ट को इतना आगे नहीं बढ़ाना पड़ता।
दो साल पहले भी फंसा था पेच
विदित हो कि करीब दो वर्षों से इस परियोजना को लेकर उधेड़बुन चल रही है। वर्ष 2023 में ही एनएचएआइ के तत्कालीन अभियंता ने रामदयालु आरओबी के निर्माण में तकनीकी समस्या बताते हुए इसे खारिज कर दिया था। फिर दो बार सर्वे कराने के बाद निर्माण की प्रक्रिया ओ बढ़ी।
जब सबकुछ फाइनल हो गया और लगा कि अब कार्य शुरू होगा तो फिर इसमें पेच फंस गया। अब 2027 में आरओबी के चालू होने की संभावना कम है। एनएचएआइ को टेंडर समेत अन्य आवश्यक प्रक्रिया पूरा करने में करीब दो माह का समय लग सकता है।
कई बार बैठक हुई, लेकिन एनओसी को लेकर बात नहीं बन पाई। पुल निर्माण निगम द्वारा इसका निर्माण कराए जाने पर ग्रहण लगता दिख रहा है। संभावना है कि एनएचआइ ही आरओबी का निर्माण करेगा।
रूबी रानी, वरीय परियोजना अभियंता, पुल निर्माण निगम
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