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    Muzaffarpur News : बीजू आम की किस्मों को लेकर चल रहा शोध, 23 वेराइटी की पहचान

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 05:25 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर में बीजू आम की 23 किस्मों की पहचान हुई है जिनमें मालदह और चौसा प्रमुख हैं। मीनापुर और कांटी के बागों में बीजू मालदह आम 500 ग्राम तक का मिला है जिससे किसानों को अच्छी आमदनी की उम्मीद है। लखनऊ स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा इन किस्मों पर शोध किया जा रहा है। किसानों के नाम पर पंजीकरण होगा और पौधों की नर्सरी भी तैयार की जाएगी।

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    आम के बाग का निरीक्षण करते विज्ञानी। सौ स्वयं

     जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Muzaffarpur News : बिहार के बीजू आम पर लखनऊ स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा शोध किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत अब तक 23 वेरायटी की पहचान हुई है। इसमें मुख्य रूप से मालदह, चौसा, रंगीन बीजू, किशनभोग व सीपिया के बीजू प्रमुख हैं। ये वेरायटी कहीं चार तो कहीं पांच तरह की मिली हैं।

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    मुजफ्फरपुर के मीनापुर और कांटी के बागों में बीजू मालदह आम का वजन 500 ग्राम तक पाया गया है। किसानों को इन किस्मों से अधिक आमदनी की उम्मीद है। चयनित किसानों के नाम पर वेरायटी पंजीकरण भी कराया जाएगा। इस शोध में लगे मुख्य अन्वेषक वरीय विज्ञानी डा. संजय कुमार सिंह के अनुसार, केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ और बिहार राज्य जैव विविधता परिषद की ओर 2023 में राज्य के 15 जिलों में बीजू आम की वैज्ञानिक पहचान को लेकर सर्वेक्षण किया गया।

    सर्वे में वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, बक्सर, भागलपुर, सारण, गोपालगंज, सिवान, बेगूसराय, पटना, सीतामढ़ी, शिवहर और रोहतास जैसे जिलों में बेहतरीन किस्मों की पहचान हुई। मुजफ्फरपुर के मझौलिया गांव में पाई गई किस्म का वजन 910 ग्राम और प्रति पेड़ उत्पादन 206 किलोग्राम रहा।

    वहीं, वैशाली की किस्म का औसत वजन 928 ग्राम और उत्पादन 210 किलोग्राम रहा। इन किस्मों में स्वाद, पल्प, रोग प्रतिरोधकता और भंडारण क्षमता भी बेहतर पाई गई। इस शोध प्रक्रिया में डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा की भी भूमिका होगी। शोध पूर्ण होने के बाद इसके परिसर में ही बीजू की विभिन्न किस्मों की नर्सरी बनाने की कवायद की जाएगी।

    डा. संजय ने कहा कि चयन के लिए दो प्रमुख मापदंड रखे गए, जिसमें फल का औसत वजन 250 ग्राम से अधिक हो और प्रति पेड़ उत्पादन न्यूनतम पांच सौ किलोग्राम होना चाहिए। पौधों की आयु कम से कम 15 साल से ऊपर होनी चाहिए। साथ ही, पल्प 75 प्रतिशत से अधिक तथा गुठली और छिलका मिलाकर अवशेष 20 प्रतिशत से कम होना चाहिए।

    परियोजना के तहत चयनित किस्मों का किसानों के नाम से पंजीकरण किया जाएगा। उनके पौधे तैयार कर प्रचार-प्रसार और प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी। तकनीकी मार्गदर्शन और दस्तावेजी सहायता भी दी जाएगी।

    यदि किसी किसान के पास विशेष किस्म है तो वह उसकी जानकारी केंद्र या स्थानीय उद्यान विभाग को दे सकते हैं। यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि बिहार को आम उत्पादन के नक्शे पर विशिष्ट पहचान दिलाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि निदेशक डा. टी दामोदरण के नेतृत्व में शोध चल रहा है। इसमें तीन सदस्य वाली टीम में डा. अंजू वाजपेयी व डा. देवेंद्र पांडेय शामिल हैं।

    मुजफ्फरपुर के मीनापुर जामीन मठिया में चार प्रकार का बीजू मिला, कटरा के अम्मा में 500 ग्राम का एक, मुशहरी विशुनपुर मनोहर में चौसा व मालदह का बीजू एक-एक, द्वारिकानगर में मालदह की बीजू वेरायटी मिली है।