Muzaffarpur News: दुष्कर्म पीड़िता की जांच से किया इन्कार, सदर अस्पताल की महिला चिकित्सक की दो वेतनवृद्धि पर रोक
मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में दुष्कर्म पीड़िता की जांच में देरी के चलते महिला चिकित्सक डा. सुषमा आलोक की दो वेतन वृद्धियों पर रोक लगा दी गई है। मिठनपुरा थाना की पुलिस पीड़िता को लेकर अस्पताल पहुंची लेकिन डाक्टरों ने जांच करने में देरी की। राज्य मुख्यालय ने इसे लापरवाही मानते हुए कार्रवाई की है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। सदर अस्पताल के मातृ-शिशु सदन व माडल अस्पताल में मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिलने की शिकायत अब मुख्यालय तक पहुंच रही है। राज्य मुख्यालय मरीजों की शिकायतों व चिकित्सकों के रोस्टर की आनलाइन निगरानी कर रहा है।
इसी कड़ी में दुष्कर्म पीड़िता की समय पर चिकित्सीय जांच नहीं करने के मामले में मातृ-शिशु अस्पताल की महिला चिकित्सक सुषमा आलोक की दो वेतनवृद्धियों पर रोक लगा दी गई है। इस संबंध में सरकार के अवर सचिव उपेंद्र राम ने सिविल सर्जन सहित अन्य वरीय अधिकारियों को जानकारी दी है। विभागीय रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप है।
समय पर नहीं हो सकी जांच, भटकती रही पुलिस
मिठनपुरा थाने की अवर निरीक्षक रीतु कुमारी एक दुष्कर्म पीड़िता को लेकर दोपहर 01:57 बजे सदर अस्पताल पहुंचीं। वहां डा.सुषमा आलोक को पीड़िता प्रस्तुत किया। इस पर उन्होंने कहा कि तीन मिनट बाद अगली पाली में डा.मोनिका जायसवाल जांच करेंगी और वहां से चली गईं।
डा.मोनिका ने भी जांच करने से इन्कार कर दिया। इस दौरान पुलिस की टीम पीड़िता को लेकर अस्पताल परिसर में इधर-उधर भटकती रही। शिकायत वरीय अधिकारियों तक पहुंचने के बाद संध्या पाली में डा.सुषमा को बुलाया गया और शाम 07:30 बजे उन्होंने पीड़िता की शारीरिक जांच की। इस दौरान काफी विलंब हो गया, जिससे चिकित्सीय साक्ष्य प्रभावित होने की आशंका बनी रही।
दुष्कर्म पीड़िता की जांच को नहीं दी प्राथमिकता
सरकार के अवर सचिव ने पत्र में लिखा है कि डा.सुषमा ने विभाग को दिए जवाब में बताया कि 23 अप्रैल 2024 को उनकी ड्यूटी संध्या पाली में मेटरनिटी वार्ड में थी। सुबह की ड्यूटी पर तैनात डा.रश्मि रेखा अस्वस्थ थीं। अतः उनकी सहमति से सुबह की पाली का कार्यभार भी संभाला।
सुबह 09:17 बजे पहले मरीज और 01:38 बजे 125वें मरीज को देखा। इस बीच एक आपरेशन से प्रसव भी कराया और भर्ती मरीजों को डिस्चार्ज किया। 01:57 बजे आरक्षी अवर निरीक्षक पीड़िता को लेकर पहुंचीं, तो शारीरिक जांच नहीं की गई।
मुख्यालय ने माना संवेदनशील मामले में बरती लापरवाही
अनुशासनिक प्राधिकारी द्वारा की गई समीक्षा में पाया गया कि डा.सुषमा ने बाह्य कक्ष में मरीजों का इलाज किया और अंतःवासी कक्ष में प्रसव कराए। उन्हें दुष्कर्म पीड़िता की जांच के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए थी, जो नहीं किया। यह घटना 19 अप्रैल 2024 को हुई थी। जांच में देरी से चिकित्सीय साक्ष्य प्रभावित होने की संभावना थी, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इससे स्पष्ट होता है कि डा.सुषमा ने अपने पद की जिम्मेदारियों का निष्ठापूर्वक पालन नहीं किया।
बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली 2005 के तहत इसे लापरवाही की गंभीर श्रेणी में मानते हुए उनकी दो वेतनवृद्धियों पर रोक लगा दी गई है। यह कार्रवाई राज्यपाल की स्वीकृति से लागू की गई है। सिविल सर्जन ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा विभागीय स्तर से इस संबंध में पत्र प्राप्त हुआ है।
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