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    Bihar New Rail Project: सिलौत-जुब्बासहनी बाईपास का होगा सर्वे, 69 लाख आएगा खर्च

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 02:13 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर में रेल अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए 12 परियोजनाओं के फाइनल लोकेशन सर्वे को मंजूरी मिली है। रेल मंत्रालय ने 1051 लाख रुपये से अधिक की लागत से इन परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। जुब्बा सहनी बाईपास बनने से मुजफ्फरपुर जंक्शन पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा। इसके अतिरिक्त कई दोहरीकरण और नई लाइन परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है।

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    सिलौत-जुब्बासहनी बाईपास का होगा सर्वे, 69 लाख आएगा खर्च

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। रेल पूर्व मध्य रेल (पूमरे) क्षेत्राधिकार में 12 परियोजनाओं के फाइनल लोकेशन सर्वे (एफएलएस) की मंजूरी मिल गई है। इससे बिहार में रेल अवसंरचना के विकास के लिए रेल मंत्रालय द्वारा पूर्व मध्य रेल क्षेत्राधिकार में रुपए 1051 लाख से अधिक की लागत से 12 परियोजनाओं के फाइनल लोकेशन सर्वे होगा।

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    इस दौरान 23 किलोमीटर जुब्बा सहनी बाईपास बनाने के लिए 69 लाख की लागत से सिलौत-जुब्बासहनी सर्वे शुरू होगा। इसके बनने से मुजफ्फरपुर जंक्शन पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा। इस बात की जानकारी पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्र ने बुधवार को दी।

    इसके अलावा 309.6 लाख की लागत से 129 किमी लंबे सकरी-फारबिसगंज दोहरीकरण, 237 लाख की लागत से 11 किमी लंबे ओलापुर-उमेशनगर बाईपास लाइन के साथ 85 किमी लंबे समस्तीपुर-हसनपुर-खगड़िया दोहरीकरण, 232.8 लाख की लागत से 97 किमी लंबे आरा-सासाराम दोहरीकरण के साथ डीएफसी लाइन से कनेक्टिविटी शामिल है।

    वहीं, 66 लाख की लागत से 22 किमी लंबे ललितग्राम-बीरपुर नई लाईन (नेपाल बार्डर के पास) तक, 30 लाख की लागत से गंगा नदी पर रेलपुल के साथ 10 किमी लंबे फतुहा-बिदुपुर नई लाईन, 18 लाख की लागत से 06 किमी लंबे फतुहा के पास रेल फ्लाई ओवर, 18 लाख की लागत से कुचमन और गंजख्वाजा के बीच आरओआर के साथ 06 किमी लंबे पंडित दीनदयाल उपाध्याय बाईपास लाइन, 18 लाख की लागत से 06 किमी लंबे नेउरा बाईपास लाइन, 28.8 लाख की लागत से 12 किमी लंबे पाटलिपुत्र-फुलवारीशरीफ (06 किमी) एवं पाटलिपुत्र-दानापुर (06 किमी) दोहरीकरण, 12 लाख की लागत से 04 किमी लंबे बिहार शरीफ बाईपास लाइन तथा 12 लाख की लागत से 04 किमी लंबे दनियावां बायपास लाइन शामिल हैं।

    निर्माण से पहले एक विस्तृत सर्वेक्षण है, जो किसी विशेष मार्ग का चयन होने के बाद किया जाता है। उन्होंने कहा कि फाइनल लोकेशन सर्वे किसी भी बड़े निर्माण परियोजना, खासकर रेलवे लाइन के निर्माण से पहले एक अंतिम और आवश्यक कदम है।