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    Bihar Land Acquisition: भूमि अधिग्रहण में रैयतों को करीब 7 करोड़ रुपये का होगा अतिरिक्त भुगतान

    मुजफ्फरपुर में भूमि अधिग्रहण की राशि में गड़बड़ी के चलते रैयतों को नुकसान हुआ है। 2016-17 की ऑडिट रिपोर्ट में यह त्रुटि सामने आई जिसमें मुजफ्फरपुर नालंदा और पटना में कम भुगतान हुआ। मझौली-चोरौत एनएच-527 सी परियोजना में अनुमोदन में देरी के कारण सात करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हो पाया। सचिव ने अधिकारियों को राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए और भूमि अधिग्रहण में तेजी लाने को कहा।

    By babul deep Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 26 Aug 2025 01:45 PM (IST)
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    भूमि अधिग्रहण में रैयतों को करीब सात करोड़ रुपये का होगा अतिरिक्त भुगतान

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। भूमि अधिग्रहण के लिए गठित कमेटी की ओर से राशि की कम गणना करने के कारण रैयतों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। दरअसल, वर्ष 2016-17 की ऑडिट रिपोर्ट में यह त्रुटि कई जिलों में पकड़ी गई है। इसमें मुजफ्फरपुर भी शामिल है।

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    अब इसकी गणना कर भुगतान करने की प्रक्रिया की जा रही है। जिला भू-अर्जन कार्यालय के अनुसार आकलन में गड़बड़ी नहीं हुई थी।

    दरअसल, मझौली-चोरौत एनएच-527 सी के निर्माण भूमि अधिग्रहण की गई थी। इस दौरान अनुमोदन में कुछ माह अधिक लग गया था, जबकि प्राक्कलित राशि पूर्व से निधारित थी। विभागीय नियमानुसार, अनुमोदन भेजने और स्वीकृति मिलने की अवधि के बीच 12 प्रतिशत के हिसाब से अंतरराशि का प्रविधान किया गया है।

    इसी राशि का कुछ मौजा में भुगतान नहीं हुआ था। इसके अनुसार, करीब सात करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया जाना है। विभागीय निर्देश के आलोक में इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

    विभाग की ओर से भेजी गई रिपोर्ट अनुसार, मुजफ्फपुर, नालंदा और पटना में वर्ष 2016-17 में कुल 17.91 करोड़ रुपये कम का भुगतान किया गया था। इसमें मुजफ्फरपुर में करीब सात करोड़ का भुगतान कम पाया गया। इसी प्रकार बक्सर, गया, नालंदा, मुजफ्फरपुर और गया में भूमि की गलत बाजार मूल्य लगाने के कारण 873.46 करोड़ कम राशि का भुगतान हुआ है।

    ये आंकड़े अंकेक्षण दल की ओर से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से दिया गया था। इसके अलावा किशनगंज, बक्सर, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी में पुनर्वास भत्ता का भी भुगतान नहीं किया गया है।

    लंबित राशि की मांग अधियाची विभाग से लगातार करें:

    सचिव ने संबंधित जिलों के जिला भू-अर्जन पदाधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि अगर अंतरराशि का भुगतान नहीं हुआ है तो संबंधित विभाग से समन्वय बनाकर लगातार अधियाचना भेजकर राशि उपलब्ध कराने को कहें। ऑडिट रिपोर्ट में पाई गई त्रुटियों का आंशिक नहीं बल्कि पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा।

    देरी के कारण भागलपुर में 115 करोड़ रुपये की बढ़ी लागत:

    वर्ष 2016-17 में ही भागलपुर में भूमि अधिग्रहण में अनुचित विलंब के कारण परियोजना की लागत में 115.65 करोड़ रुपये की अधिक वृद्धि हो गई थी। सचिव ने सभी जिलों को भूमि अधिग्रहण का कार्य तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया। ताकि विभाग पर अतिरिक्त बोझ नहीं हो।