उत्तर बिहार में उमस भरी गर्मी का दौर जारी, कब होगी बारिश? जानिए मौमस विभाग का ताजा अपडेट
मुजफ्फरपुर में सावन में भी उमस भरी गर्मी से लोग परेशान हैं। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक ऐसी ही स्थिति रहने की संभावना जताई है। बारिश न होने से किसान धान की रोपाई को लेकर चिंतित हैं और आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। सावन में उमस भरी गर्मी का दौर अभी जारी रहेगा। आने वाले तीन से चार दिनों तक भी यही स्थिति कायम रहने वाली है। ऐसा मौसम विभाग की ओर से जारी अलर्ट में बताया गया है।
कहा गया है कि पूर्वानुमानित अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में ज्यादातर स्थानों पर कम वर्षा या लगभग शुष्क-स्थिति बरकरार रहने की संभावना है। कहीं-कहीं हल्की वर्षा हो सकती है।
इस अवधि में अधिकतम तापमान 35-38 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है। वहीं न्यूनतम तापमान 27-29 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है। पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 15 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चलने का अनुमान है।
वरीय मौसम विज्ञानी डॉ. ए. सत्तार ने बताया कि आने वाले तीन से चार दिनों में भी मौसम मे ज्यादा बदलाव होने की संभावना नहीं है। उसम भरी गर्मी का दौर जारी रहेगा। मानसून की सक्रियता कम होने के कारण उत्तर बिहार के कई जिलों में बारिश की संभावना काफी कम है।
इधर, मंगलवार को दिन भर उमस भरी गर्मी से लोग परेशान रहे। लोगों का पसीना से बुरा हाल था। दिन का अधिकतम तापमान 36.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। यह सामान्य से 3.7 डिग्री अधिक है। वहीं न्यूनतम तापमान 27.5 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। यह सामान्य से एक डिग्री अधिक है।
बारिश के अभाव में किसान परेशान
सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को झेलनी पड़ रही है। बारिश के अभाव में धान की रोपनी प्रभावित हो रही है। किसानों के सामने बिचड़ा बचाने की चुनौती है। वहीं पूर्व में रोपे गए धान के पौधों को भी बचाने के लिए किसान बारिश का इंतजार कर रहे है।
कुछ किसान सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था के जरिए बिचड़ा से लेकर धान के पौधे तक बचाने की कोशिश में जुटे हुए है। किसानों का मानना है कि धान की खेती के लिए बारिश जरूरी है। आषाढ़ के महीने में किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे रहे। आसमान में बादल छाते रहे। बादलों की गर्जना होती रही, लेकिन बरसे नहीं। लिहाजा धरती सूखी रही।
किसान धान की रोपनी के लिए इंतजार करते रह गए। सावन के दूसरे दिन से इलाके में बारिश का दौर शुरू हुआ। सावन के आठ दिन में चार दिन छिटपुट बारिश हुई है, लेकिन इस बारिश से न धरती की प्यास बुझ सकी है और ना ही इंसानों की। बारिश के बाद खेत बस भीग कर रह गए।
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