Updated: Tue, 30 Sep 2025 08:42 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में रिश्वत लेते पकड़े गए कुढ़नी के पूर्व अंचलाधिकारी पंकज कुमार की एक और गड़बड़ी सामने आई है। उन्होंने 900 से अधिक दाखिल-खारिज आवेदनों को स्वीकृत किया जबकि पहले उन्हें अस्वीकृत कर दिया था। राजस्व विभाग की जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया गया है। पंकज कुमार को पहले भी रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। रिश्वत लेते निगरानी के हत्थे चढ़े कुढ़नी के पूर्व अंचलाधिकारी पंकज कुमार की एक और बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई है। उन्होंने सीओ रहते हुए नौ सौ से अधिक दाखिल-खारिज के उन आवेदनों को स्वीकृत किया जिसे पहली बार अस्वीकृत कर दिया था। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की जांच में यह गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद पंकज कुमार के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई चलाए जाने का आदेश दिया गया है।
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मुजफ्फरपुर के अपर समाहर्ता, विभागीय जांच को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है। वहीं डीसीएलआर पूर्वी को उपस्थापन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है।
विदित हो कि पंकज कुमार को अगस्त 2023 में कुढ़नी अंचल कार्यालय परिसर से 40 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। कुढ़नी थाने के मनकौनी निवासी मिथलेश कुमार ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में पंकज कुमार के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि कुढ़नी स्टेशन रोड में उसकी करीब 10 डिसमिल जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए वह 40 हजार रुपये रिश्वत मांग रहे थे।
इसके बाद निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने यह कार्रवाई की थी। गिरफ्तारी के बाद पंकज कुमार को निलंबित कर तिरहुत प्रमंडल के प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय को उनका मुख्यालय निर्धारित किया गया। नियम के विरुद्ध जाकर बड़ी संख्या में किए दाखिल-खारिज राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर सचिव के स्तर से फरवरी 2023 में कुढ़नी अंचल कार्यालय का निरीक्षण किया गया था।
इसमें पाया गया कि यहां वर्ष 2023 में कुल 901 दाखिल-खारिज वादों को पहली बार तत्कालीन सीओ पंकज कुमार ने अस्वीकृत कर दिया। इन्हीं आवेदनों को फिर उसी दस्तावेज के आधार पर आवेदन किए जाने के बाद अस्वीकृत कर दिया गया। यह कृत्य सरकार के नियम के विरुद्ध है।
नियम के अनुसार जिस राजस्व कोर्ट से किसी आवेदन पर एक बार जो निर्णय लिया गया उसे उसके ऊपर के कोर्ट से ही बदला या संशोधित किया जा सकता है। इतनी बड़ी संख्या में पहली बार में अस्वीकृत आवेदनों को उन्हीं दस्तावेज पर स्वीकृत करना बड़ा खेल है। नियम के विरुद्ध जाकर इतनी संख्या में दाखिल-खारिज वादों को स्वीकृति देने में लेन-देन से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।
निरीक्षण के दौरान नहीं दिए अभिलेख:
अपर सचिव के निरीक्षण के दौरान सरकारी जमीन की बंदोबस्ती पंजी, जमीन अधिग्रहण पंजी आदि उपलब्ध नहीं कराए गए। अपर सचिव ने इसे भी लापरवाही, कर्तव्यहीनता एवं स्वेच्छाचरिता माना। इन कारणों को लेकर पंकज कुमार के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्णय लिया गया।
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