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    Muzaffarpur News : राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के विस्तार का प्रयास तेज, 40 एकड़ अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 07:33 PM (IST)

    Muzaffarpur News राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने अपने शोध का दायरा बढ़ाना शुरू किया है। इसके लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता है। केंद्र के निदेशक डा. विकास दास का कहना है कि लीची की नई किस्मों के विकास के लिए जैविक पद्धति रोग प्रतिरोधक क्षमता और गुणवत्ता परीक्षण जैसे प्रयोगों के लिए जमीन की आवश्यकता होती है।

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    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

     जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Muzaffarpur News : राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है। रिसर्च को तेज करने और लीची की नई किस्मों के विकास में आ रही चुनौतियों का सामना करने के लिए केंद्र प्रशासन ने राज्य सरकार से 40 एकड़ अतिरिक्त भूमि की मांग की है।

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    वर्तमान में केंद्र के पास लगभग 100 एकड़ भूमि है, जो अब शोध गतिविधियों के लिए अपर्याप्त हो गई है। केंद्र के निदेशक डा. विकास दास के अनुसार, लीची की नई किस्मों के विकास के लिए जैविक पद्धति, रोग प्रतिरोधक क्षमता और गुणवत्ता परीक्षण जैसे विभिन्न प्रयोगों के लिए अलग-अलग भूखंडों की आवश्यकता होती है।

    भूमि की कमी के कारण अनुसंधान की गति प्रभावित हो रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। भूमि उपलब्ध होते ही केंद्र में आधुनिक तकनीकों पर आधारित रिसर्च, प्रयोगात्मक खेती, पौध संरक्षण और निर्यातोन्मुखी उत्पादन पर केंद्रित परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।

    इसके अतिरिक्त, किसानों के प्रशिक्षण, तकनीक परीक्षण और पौध वितरण कार्यक्रमों का भी विस्तार होगा, जिससे देशभर के लीची उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। अनुसंधान केंद्र ने शाही और चाइना लीची के साथ तीन नई किस्में भी विकसित की हैं, जिनमें गंडकी संपदा, गंडकी लालिमा और गंडकी योगिता शामिल हैं।